आज गुरुजी अपने शिष्यों को बताते हैं कि जा ग्रहस्थ बनकर रह, माता पिता की सेवा कर, बीबी बच्चों में फंसा रह, मिलजुल कर रहना, चोरी बेईमानी मत करना, परिवार में प्रेम से रहना आदि आदि ।
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हमारे देश में बड़े लोगों द्वारा हमेशा भाईचारे का सन्देश दिया जाता है और बच्चों को मिलजुल कर रहना सिखाया जाता है ऐसे में भले ही जोश में ऐसी घटना घटित हो गयी हो किन्तु होश में हम सब एक हैं.
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उन्होंने कहा कि कुछ लोग सांप्रदायिक दंगा करके अपना सियासी मकसद साधना चाहते हैं लेकिन वो ये शायद भूल रहे हैं इस देश में लोग चाहे किसी भी धर्म के क्यों न हों आपस में मिलजुल कर रहना बहुत अच्छी तरह जानते हैं.
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थोड़ी देर बाद मुझे गलती का एहसास हुआ और मैंने उसे प्यार से समझाया की हमें हमेशा आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए माँ, पिता जी को, दोस्तों को सभी को बहुत प्यार करना चाहिए,, इस तरह रोज वैलेंटाइन डे होगा..
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इससे यही शिक्षा मिलती है कि हम सबको भूल से भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए, सबको मिलजुल कर रहना चाहिए ताकी यही हमारे मुख से निकले कि ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हो हमारे करम...ताकि हँसते हुए निकले दम. शीला मदान, शिकागो
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बाद में जब पाकिस्तान बन गया तो एक बार फिर उन्होंने विचारधारात्मक यू टर्न लिया और यह कहते हुए पाए गए कि आधुनिक इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान में सभी संप्रदायों को मिलजुल कर रहना होगा और एक साथ मिलकर नए और आधुनिकता से ओतप्रोत पाकिस्तान की रचना करनी होगी।
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मेरा देश मै करती हु अपने देश से प्यार दिल मै लिए सपने हजार, हम सब करते है तिरंगे का सम्मान बढती रहेगी इसकी आन हम सबको यहाँ मिलजुल कर रहना, सुख दुःख को संग मे है सहना भारत देश पर हमको गर्व हमको दिखता यहाँ पर स्वर्ग..
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दुनिया में मिलजुल कर रहना और ताल्लुकात निभा देना ही धर्म है, वैसे इस तरह के सन्यासी आपको बहुत से धर्म में मिलेंगे....मुस्लिम में भी........पर मेरे ख्याल में उनके संन्यास का धर्म से कोई से कोई संबंध नहीं होना चाहिए.....कुरान में तो यही लिखा है......वैसे इस बार भी आपने बहुत खूब लिखा....शुक्रिया
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जन्हा महात्मा गांधी जी ने हमें शान्ति के साथ रहना सिखाया समाज में मिलजुल कर रहना बताया, वन्ही श्री लाल बहादुर शास्त्री जो देश के दुसरे प्रधान मंत्री थे ने “ जय जवान-जय किसान ” का नारा देकर सब का पेट भरने और विदेशी दुश्मनों को नाकों चने चबाने का सबक सिखाया....
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पर क्या लोग इन उपायों का प्रयोग कर पूर्णतया स्ट्रेस फ्री हो पाते हैं?????????? जब तक हम * मुठ्ठी भर स्ट्रेस क्रिएट करने वालों को नियंत्रित नहीं करेगें, * अपने स्वार्थ को छोड़ कर सामान्य रहन-सहन नहीं अपनाएगें, * मिलजुल कर रहना और दूसरों के लिए जीना नहीं सीखेगें तब तक शायद ही कोई उपाए, कितना भी पैसा खर्च कर अपना लो, पुर्णतः कारगर नहीं ही होगा,ऐसा ही प्रतीत होता है.