| 31. | कि मीज़ान के दो पलड़े होंगे: एक पलड़े में बुराईयों को रखा जायेगा, और दूसरे पलड़े में
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| 32. | उनकी किताबें लिसानुल मीज़ान, तक़रीबुत्तहज़ीबुल इसाबत व फ़तहुल बारी फ़ी शरहि सही बुख़ारी उनकी प्रसिद्ध किताबें हैं।
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| 33. | सुन्नत के कुछ विद्वानों ने अपने अक़ाइद में कहा है: मीज़ान के दो पलड़े और ज़ुबान हैं।
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| 34. | कुछ मुफ़स्सिरों ने कहा है कि मीज़ान से मुराद सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की पवित्र ज़ात है.
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| 35. | के दिन पर ईमान रखने में मीज़ान पर ईमान रखना भी है जो क़ियामत के दिन क़ायम किया जायेगा
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| 36. | जीवन की जो सहज और स्वाभाविक माँग होती है उसके साथ उन सामाजिक मूल्यों का सही मीज़ान बैठता ही नहीं था.
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| 37. | यानी थोड़ी सी नेकी भी क़ुबूल हो जाए तो अल्लाह के फ़ज़्ल से इतनी बढ़ जाती है कि मीज़ान को भर दे.
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| 38. | इब्ने जौज़ी ने कहा कि हदीस में आया है कि हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने तराज़ू (मीज़ान) देखने की दरख़्वास्त की.
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| 39. | शादमा ज़ैदी ‘ शाद '-फरेबो मक्र का चेहरा नुमाया हो ही जाता है, अगर आंखों की हम कभी अपनी मीज़ान लेते हैं।
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| 40. | और वह एक वास्तविक मीज़ान है, उसके दो पलड़े होंगे, एक पलड़े में नेकियाँ रखी जायेंगी और एक पलड़े में बुराईयाँ रखी जायेंगी।
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