| 31. | एक झलक से मेरा मुक़द्दर तूने आज चमकाया
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| 32. | इस दौर में किसी का मुक़द्दर नहीं कोई
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| 33. | कभी तो ये जफ़ा पेशा मुक़द्दर मेहरबाँ होगा।
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| 34. | “अंधेरों को मुक़द्दर जानकर जो मुतमुइन हैं
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| 35. | न जाने कितने मुक़द्दर यहाँ संवरते हैं
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| 36. | कोशिश से अपनी अपना मुक़द्दर तलाश कर
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| 37. | जब मुक़द्दर ही बने दुश्मन तो कोई क्या करे
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| 38. | मुक़द्दर खुश्क पत्तों का है, शाखों से जुदा रहना
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| 39. | मुट्ठी में कभी बंद मुक़द्दर नहीं होता।
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| 40. | आज ये ग़ज़ल अपने मुक़द्दर पर इतराने लगी है।
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