| 31. | रहने दो रज का मंजु मुकुर,
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| 32. | किधौं मुकुर में लखत उझकि सब
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| 33. | मंजुल मंगल मोद प्रसूती॥ जन मन मंजु मुकुर मल हरनी।
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| 34. | श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
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| 35. | मुकुर में झाँकना मेरी आश्वस्ति का आधार नहीं है ;
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| 36. | जन मन मंजु मुकुर मल हरनी।
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| 37. | मंजुल मंगल मोद प्रसूती जन मन मंजु मुकुर मल हरनी ।
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| 38. | अजीज कुरैशी ने संस्थान की पत्रिका मुकुर का भी विमोचन किया।
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| 39. | धैर्य हो तुम: जो नहीं प्रतिबिम्ब मेरे कर्म के धुँधले मुकुर
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| 40. | जन मन मंजु मुकुर मल हरनी किये तिलक गुण गन बस करनी
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