यह भी सवाल है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को आत्म परीक्षण की सलाह देने वाले आडवाणी खुद पार्टी की छबि की खातिर कितने जागरूक हैं? इंटरनेट के ‘ ब्लॉग ' पर व्यक्त की गई व्यथा पार्टी के मंच पर रखी जा सकती और पब्लिसिटी से इतना ही लगाव था तो वे भाजपा या अपने पैतृक संगठन के मुख-पत्र के जरिए व्यक्त करते तो उस पर सार्थक चर्चा हो सकती थी।