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मुद्गर उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
31.निश्चित रूप से, मैकलेगन ने न जाने किस समझदारी के तहत पीक्स का मुद्गर उससे छीन लिया था और उसे बता रहा था कि किस तरह पहलवान को आते हुए कैडवैलेडर की तरफ़ मारा जाए ।

32.उदयप्रकाशजी आजकल जातिवाद से आक्रांत दिखते हैं या फिर उनका जातिबोध एकदम से जागृति हो गया है, इसलिए हर मसले में वे जातियों, जातीय अस्मिता और जातीय राजनीति जैसे सवाल लेकर मुद्गर भाँजने लेगते हैं।

33.और तुम मर कर फिर उसी के पास लौटाए जाओगे “ सूरा-बकरा 2: 28 “ पुनरपि मरणं पुनरपि जन्मं, पुनरपि जननी जठरे शयनं “ मोह मुद्गर-शंकराचार्य 5-कर्मों का फल भोगना ही पड़ेगा “

34.समुद्र के अमृत मणियों से सजी हुई मण्डप की रत्नजटित चौकी पर स्वर्ण सिंहासन पर बै ठी पीतवर्ण पीताम्बरा सर्वाभरणभूषणों से सुशोभित सुन्दर अंगो वाली शत्रु की जिव्हा पकडे हुए मुद्गर हाथ मे लिए हुए प्रकट हुई ।

35.जब घट का मुद्गर आदि से विनाश कर दिया जाता है और जब वह कपाल के रूप में परिणत हो जाता है, तब उस (घट) में जो पहले घटबुद्धि हो रही थी, वह नष्ट हो जाती है।

36.आनन्दादि योगों के नाम इस प्रकार से है-आननद कालदण्ड धूम्राक्ष प्रजापति सौम्य ध्वांक्ष ध्वज श्रीवत्स वज्र मुद्गर छत्र मित्र मानसाख्य पद्माख्य लुम्बक उत्पात मृत्यु काण सिद्ध शुभ अमृत मूसल गद मातंग राक्षस चर स्थिर वर्द्धमान यह अट्ठाइस योग माने जाते है।

37.यथा काल दंड एवं वज्र में मृत्युतुल्य कष्ट, मुद्गर तथा लुंबक में धन क्षय, उत्पात में क्लेश, मृत्यु में मरण, काण में काल भय, मूसल में हानि, गद में भय, राक्षस में कष्ट आदि कुफल होते हैं।

38.जिनका श्रीविग्रह उदीयमान सहस्त्र सूर्य के सदृश अरुण तथा पीताम्बर से सुशोभित है, जिनके नेत्र अत्यन्त प्रज्वलित अगिन् के समान उद्दीप्त हैं, जो राक्षस-समूह को नि:शेषतया पीस देनेवाले हैं, प्रलयकालीन मेघ-गर्जना के तुल्य जिनकी घोर गर्जना है, जिनके मुद्गर (गदा) का भ्रमण अतिशय दिव्य है, ऐसे शेभा-प्रभा-संवलित मारुतनन्दन विपद्विभञ्जन श्रीहनुमानजी का प्रतिदिन ध्यान करना चाहिये।

39.जिनका श्रीविग्रह उदीयमान सहस्त्र सूर्य के सदृश अरुण तथा पीताम्बर से सुशोभित है, जिनके नेत्र अत्यन्त प्रज्वलित अगिन् के समान उद्दीप्त हैं, जो राक्षस-समूह को नि: शेषतया पीस देनेवाले हैं, प्रलयकालीन मेघ-गर्जना के तुल्य जिनकी घोर गर्जना है, जिनके मुद्गर (गदा) का भ्रमण अतिशय दिव्य है, ऐसे शेभा-प्रभा-संवलित मारुतनन्दन विपद्विभञ्जन श्रीहनुमानजी का प्रतिदिन ध्यान करना चाहिये।

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