जब मुसलमान बादशाह मार मार कर मुसलमान बनाया करते थे तो उनके 800 साल राज करने के बाद भी मंदिर में धूप नैवेद्य करने के लिए हिन्दू कहाँ से बचे रह गए? और मंदिर तोड़ ही डाला तो उसे मस्जिद बनाने से उन्हें किसने रोका?
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' प्रेमीजी ' के ' रक्षाबंधान ' में मेवाड़ की महारानी कर्मवती का हुमायूँ को भाई कहकर राखी भेजना और हुमायूँ का गुजरात के मुसलमान बादशाह बहादुरशाह के विरुद्ध एक हिंदू राज्य की रक्षा के लिए पहुँचना, यह कथावस्तु ही हिन्दू मुस्लिम भेदभाव की शांति सूचित करती है।
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क्यों भाई? इन सब को मार देनेका इरादा है क्या? रामायण काल उस ज़माने में अच्छा रहा होगा | आज कतई अच्छा नहीं होंगा | ये सब सच कहानिया कथाकार लोग छिपा सकते है | अब मोरारीबापू बार बार कहेंगे की राम ने बाली का वध नहीं किया तो ये सच हो जायेगा | ऐसा भी कह सकते है की किसी मुसलमान बादशाह ने ये गलत श्लोक पिछसे रखवा दिए है |
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उन पैग़म्बरों के नायबीन मुक़र्रर हुए जो हमको दुनिया और आख़िरत की तालीम देते हैं जिनके मुतअल्लिक सिर्फ दुनिया के इन्तिजाम सुपुर्द किये गये वह बादशाह कहलाते हैं और जिन के जिम्मे दीनी यानी आखिरत के उमूर (फन, कार्यों) की दुरूस्तगी दी गयी वह आलिम हैं इसलिए इन दोनों के हुक्म पर चलना हमारा फर्ज है चुनांचे इरशाद होता है (ऐ ईमान वालो) हुक्म मानो अल्लाह का और हुक्म मानो रसूल का और जो इख़्तियार दिये गये हैं (मुसलमान बादशाह को) ।