| 31. | परीक्षण के बाद, अक्सर रोगियों को मूत्रत्याग के समय जलन महसूस होती है तथा अक्सर उन्हें मूत्र में अल्प मात्रा में रक्त भी दिखाई पड़ता है.
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| 32. | श्वसन, पसीना और मूत्रत्याग जैसी सामान्य शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से हुई पानी की क्षति को पूरा करने के लिए एक निरंतर आपूर्ति की जरूरत है.
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| 33. | शोच / मूत्रत्याग / बहार से आने के बाद / अधिक देर खड़े और पैर लटकाए हुए बेठने के बाद ठन्डे पानी से पैर जरुर धोये।
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| 34. | श्वसन, पसीना और मूत्रत्याग जैसी सामान्य शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से हुई पानी की क्षति को पूरा करने के लिए एक निरंतर आपूर्ति की जरूरत है.
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| 35. | परीक्षण के बाद, अक्सर रोगियों को मूत्रत्याग के समय जलन महसूस होती है तथा अक्सर उन्हें मूत्र में अल्प मात्रा में रक्त भी दिखाई पड़ता है.
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| 36. | नाड़ियाँ खराब होने से मूत्राशय को यह भी पता नहीं चल पाता है कि वह मूत्र से भर चुका है और उसे मूत्रत्याग कर लेना चाहिये।
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| 37. | शिशुओं में मूत्रत्याग मेरुदण्डीय प्रतिवर्त क्रिया (spinal reflex action) के द्वारा होता है जो मूत्र से भर जाने पर मूत्राशय के फैलने से शुरु होता है।
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| 38. | 6. मूत्रत्याग में कोई परेशानी हो या मूत्राशय से सम्बंधित कोई बीमारी हो तो गन्ने के रस में २५ ग्राम वासा के पत्तो का रस मिलाकर पी कर देखिये.
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| 39. | फीजियोथेरेपी और सही तरह की कसरतों से इससे बचा जा सकता है लेकिन यदि मूत्रत्याग के समय हर बार बच्चेदानी बाहर आ जाती है तो सर्जरी ही एकमात्र उपाय है।
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| 40. | फीजियोथेरेपी और सही तरह की कसरतों से इससे बचा जा सकता है लेकिन यदि मूत्रत्याग के समय हर बार बच्चेदानी बाहर आ जाती है तो सर्जरी ही एकमात्र उपाय है।
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