४. यद्यपि आप ने स्वीकार किया है की भ्रष्टाचार का मूलकारण ' तथाकथित ऊँची जातियों के शीर्ष जगहों के घेरे होने के कारण है ' सदियों के बनाये गए आपके इंतजामात बदलने होंगे क्योंकि २ ० ११ की जनगरना में सबसे महत्त्व के पहलू जाति को ' बोतल में बंद करके ' क्यों रखते हो?
32.
इनके मूलकारण की खोज करते हुए, जब हम कारण की एक ऐसी अवस्था तक पहुंच जाते हैं, जहाँ सोना, पारा या पृथ्वी की विशेषता नहीं रहती ; अर्थात्, वे कारणतत्व जहाँ ऐसी अवस्था तक परिणत नहीं हो पाते, जिनमें सोना, पारा आदि की विशेषता का अस्तित्व प्रकट हो गया हो, कारण की वही अवस्था अविशेष है।
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अज्ञानता त्रिदोष को जन्म देते हैं जो इस प्रकार हैं-निसपा-जिसमें (त्रिदोष) यथा (दोदछगस (काम) वात की जननी, जैसडंग (क्रोध) पित्त का मूलकारण एवं तिमुग (मानसिक मंदता) पाड-कण (कफ) का मूल कारण है चेतन-अचेतन का विश्वव्यापी तथ्यविषयक सामग्री आधारित संगठित है जुंगवाना (अंग्रेजी का पांच तत्व, संस्कृत का पंचमहाभूत) सा, छू,मेई,लुंग एवं नामखा (जो कि पंचमहाभूत के रुप में संगठित है) ।
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लोगों पर कोई दबाब नहीं डाला जाय, बल्कि उन्हें समझाया जाय कि आप अपनी पसंद का ही वर-वधू चुनें-किन्तु वर-वधू का चुनाव पूरे हिन्दूसमाज से करें न कि सिर्फ अपनी जाति से | यानि विवाह में केवल जाति के नाम पर समझौता करना है और कोई समझौता नहीं करना है | भारत के भ्रष्टाचार का मूलकारण जातिगतवोटिंग व अपनी जाति के भ्रष्टाचारियों / निकम्मों / अपराधियों का समर्थन है |