मरियम के संबंध में कैथोलिक मान्यताओं में उनका मूल पाप के दाग बिना निर्मल गर्भधारण तथा उनके जीवन के अंत में स्वर्ग में शारीरिक धारणा शामिल हैं.
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अधिकांश एंग्लिकन इस बात से सहमत हैं कि यह उस दाग़ का प्रक्षालन भी है, जिसे पश्चिम में मूल पाप तथा पूर्व में पैतृक पाप कहा जाता है.
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अधिकांश एंग्लिकन इस बात से सहमत हैं कि यह उस दाग़ का प्रक्षालन भी है, जिसे पश्चिम में मूल पाप तथा पूर्व में पैतृक पाप कहा जाता है.
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मूल पाप ' में पुरुष को खींचने का जो उसने अनुचित आचरण किया है, उस कारण वह ‘ एडल्टरेस ' है, ‘ एडल्टरी ' की दोषी है।
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कैथलिकों का मानना है कि बपतिस्मा मूल पाप के दाग़ के प्रक्षालन के लिये आवश्यक है और यही कारण है कि शिशुओं का बपतिस्मा की पद्धति आमतौर पर प्रचलित है.
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कैथलिकों का मानना है कि बपतिस्मा मूल पाप के दाग़ के प्रक्षालन के लिये आवश्यक है और यही कारण है कि शिशुओं का बपतिस्मा की पद्धति आमतौर पर प्रचलित है.
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और दूसरी तरफ थे-प्रकृति से अलग ईश्वर (एकेश्वर) को नैतिकता का एकमात्र स्रोत मानने वाले, आनंद की कामना को सभी पापों का मूल पाप मानने वाले.
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ईसाई भी “ मूल पाप ” के नियम को मानते हैं लेकिन मुसलमान मानते हैं कि बच्चा केवल बच्चा है चाहे किसी के भी घर में जन्मे, वह मासूम होता है.
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कुछ कैथोलिक ब्रह्मविज्ञानियों का विचार हैं कि अबपतिस्मा हुए शिशुओं की आत्माएं जो मूल पाप में मर जाते हैं, वे उपेक्षित स्थान को जाते हैं, हालांकि यह गिरजाघर का अधिकारिक सिद्धांत नहीं है.
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कुछ कहते हैं कि मूल पाप कि अवधारणा से भले लोगों को अकारण ही अपराध-भावना से जीना पड़ता है और उनकी ईश्वर की प्रति भावना प्रेम की कम और डर की ज़्यादा होती है।