अब तो यही कहा जा सकता है कि संघ की मूल शिक्षा में ही भारी गड़बड़ी है, जिससे ने भाजपा मे नेताओं की फौज तो आ गई, लेकिन कार्यकर्ताओं की फौज खत्म हो गई।
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विभिन्न जातियों, भाषाओं और देशकाल में आये सभी पैग़म्बरों की मूल शिक्षा और धर्म का सार यह था कि ऐ लोगो! तुम्हारा खु़दा एक है तुम उसी की बन्दगी करो और तुम्हारा ख़ून एक है।
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वह शुरू की “कल का भविष्य, ” फ्यूचर्स अध्ययन के बारे में एक अग्रणी पत्रिका है, के रूप में अच्छी तरह से वह सामान्य और मूल शिक्षा के क्षेत्र में सेमिनारों और फ्यूचर्स अध्ययन के पाठ्यक्रम को प्रोत्साहित किया.
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किसी भी धर्म के अनुयायी को अपने धर्म की मूल शिक्षा के पालन और अपने सद्कार्यों के आधार पर धर्म के साथ खड़ा होना चाहिए न कि अन्य धर्म के प्रति विरोध और नफरत का भाव रखकर (हरिजन, 1940)।
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; प्रेम भारद्वाज के प्रश्नद्ध आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी से मूल शिक्षा क्या ग्रहण की? ' चढ़िए हाथी ज्ञान को सहज दुलीचा डाल! प्रथम वाक्य लिखने में आप बहुत परिश्रम करते हैं क्या है इसका रहस्य? रहस्य जैसा कुछ नहीं।
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इसका एकमात्र समाधान यही है कि भारत में आये पैग़म्बरों की शिक्षा को भुला बैठी जनता को आखि़री पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल 0) के माध्यम से मिले कुरआन की शिक्षाओं से परिचित कराया जाए जो कि सभी पैग़म्बरों की मूल शिक्षा है।
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ये सब लोग उन कम्पयूटरों के द्वारा गरीब बच्चों को कम्यूटर पर कार्य करने की मूल शिक्षा देने का प्रयास कर रहे है जिस से उस खाई को भर दें जो आज के ग्रामीण और झुग्गी झोंपड़ी के बीच केक कबच्चों में पाई जाती है।
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अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए छात्रवृति योजना: मदद के नाम पर धोखा भारत में मूल शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया, लेकिन अफसोस की बात यह है कि हमारे देश में क़ानून तो बना दिए जाते हैं, पर उन्हें ठीक से लागू नहीं किया जाता.
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व्यवसायिक शि्क्षा का चुनाव: आज व्यवसायिक शिक्षा का महत्व मूल शिक्षा से अधिक है परन्तु भविष्य के अनुकूल व्यवसायिक शिक्षा का चयन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जातक की मनोवैज्ञानिक एवम शारीरिक क्षमता एवम भविष्य की सम्भावनाओ का गहन अध्यन पूर्ण वैज्ञानिक रूप से! सम्पर्क करे!
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लेख की मूल शिक्षा:-किसी भी मत-सम्प्रदाय के विचारों, मानसिकताओं, आचरण एवं गतिविधियों का आकलन एवं विश्लेषण उस मत-सम्प्रदाय की पंथिक-साम्प्रदायिक पुस्तकों का अध्ययन करके ही हो सकता है, विडम्बना यह है कि आज हिन्दू अपने ही ग्रन्थ नही पढ़ रहा तो Anti-vedic एवं Non-Vedic पैशाचिक पंथों के बारे में वो क्या जान पायेगा?