पम्प ठीक करने वाला दल ने जब इस पर कार्य आरम्भ किया तो कुछ धनाढ्य लोगों ने इस पम्प को इसके मूल स्थल से दूर एक व्यक्ति के व्यक्तिगत स्थान पर लगाने के लिए दल को बहला फुसला कर राजी कर लिया जो अवैध था.
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4 श्री पर्वत शक्तिपीठ इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था।
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त्रिमूर्ति जिनालय गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने की योग्यता रखने वाली विश्व में प्रथम 1008 भगवान शांतिनाथ, भगवान कुंथनाथ, भगवान अरहनाथ की 24,000 किलोग्राम की अष्ट धातु की अलौकिक अनुपम विशाल सौम्य त्रिमूर्तियों को मन्दिर बनने के पूर्व ही मूल स्थल पर विराजमान कर दी।