जिन वनों के साथ छेड़ छाड़ नहीं की जाती, उनकी मृदा हानि की दर बहुत कम होती है, लगभग २ मीट्रिक टन प्रति वर्ग किलोमीटर (प्रति वर्ग मील ६ छोटे टन)[तथ्य वांछित]वनोन्मूलन आमतौर पर मृदा अपरदन (
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इन प्रदेशों में मैदानी इलाकों के आभाव में पहाड़ों की ढलानों पर सीढ़ियों के आकार के छोटे छोटे खेत विकसित किए जाते हैं जो, मृदा अपरदन और बारिश के पानी को बहने से रोकने में सहायक होते हैं।
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पलवार में फसलों के बेकार, पुआल, भूंसी, सूखी पत्तियों का प्रयोग खाली स्थानों को ढ़कनें में किया जाता है जो खाली जगह पर आवरण बनाकर मृदा अपरदन एवं पोषक तत्व क्षरण को निंयत्रित करती है।
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एक समान अन्तराल पर समोच्च रेखा के साथ साथ नीचे दिखाए गये चित्रानुसार खाईयां बनाई जाती है जिनमें वर्षा अपवाह इकट्ठा होकर भूमि मे नमी संरक्षण (Moisture conservation) के साथ साथ मृदा अपरदन को भी रोकता है।
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जिन वनों के साथ छेड़ छाड़ नहीं की जाती, उनकी मृदा हानि की दर बहुत कम होती है, लगभग २ मीट्रिक टन प्रति वर्ग किलोमीटर (प्रति वर्ग मील ६ छोटे टन)[तथ्य वांछित] वनों की कटाई आमतौर पर मृदा अपरदन (
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१९७५ के बाद से, गाँव में विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में, मृदा अपरदन रोकने के लिए वृक्षारोपण और सीढ़ीदार खेतों में कृषि और वर्षा के पानी के संचय के लिए नहरों की खुदाई जैसे कार्यक्रमों को चलाया गया है।
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1975 के बाद से, गाँव में विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में, मृदा अपरदन रोकने के लिए वृक्षारोपण और सीढ़ीदार खेतों में कृषि और वर्षा के पानी के संचय के लिए नहरों की खुदाई जैसे कार्यक्रमों को चलाया गया है।
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ईस्टर द्वीप (Easter Island) ने हाल की शताब्दियों में भारी मृदा अपरदन (soil erosion)का सामना किया है, जो खेती और वनों की कटाई का परिणाम है.जारेद डायमंड (Jared Diamond)अपनी पुस्तक कोलाप्स (Collapse)में प्राचीन ईस्टर द्वीप वासियों के पतन के बारे में बताते हैं.
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यह मिटटी को गर्म करके, उसमें उर्वरक डाल कर, खर पतवार का नियंत्रण करके उसकी उत्पादकता में सुधार ला सकती है, लेकिन इससे मृदा अपरदन की संभावना भी बढ़ जाता है, कार्बनिक पदार्थ अपघटित होकर CO 2 मुक्त करने लगते हैं, और मृदा जीवों की उपस्थिति और विविधता में भी कमी आती है।
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वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धिता को बढ़ाता है, भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है, फ़लुओराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदूषकों को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता बढ़ाता है, मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है और यदि इसे जलभृतों के पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है तो तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल के प्रवेश को रोकता है।