मौलिक कानून में संशोधन की जरूरत गौरतलब है कि विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश चीन में लगातार बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिये 1979 में हर दंपती द्वारा केवल एक संतान को जन्म देने का नियम बनाया गया था।
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नए मौलिक कानून नहीं बना कर शताब्दियों पुराने कानूनों में बार बार संशोधन करना समयातीत जीर्णशीर्ण कपडे की मरम्मत कर काम चलाने के समान है. जो कानून जिस देश, काल,परिस्थितियों और शासन प्रणाली के लिए उपयुक्त थे वे सदैव उपयुक्त नहीं हो सकते.
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इतना ही नहीं अब तक की शिक्षा संबंधी लगभग सभी सरकारी और गैर सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दर्जा एक से आठ तक पहंुचते-पहंुचते लगभग आधे बच्चे स्कूल छोड़कर बाहर आ जाते हैं अर्थात 6 से 14 आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले लगभग 19 करोड़ बच्चों में से आधे यानि 9. 5 करोड़ बच्चे स्कूलों से बाहर होने चाहिए और यह आश्चर्य है कि इसी प्रकार के आंकड़ों के आधार पर सरकार ने बुनियादी शिक्षा से वंचित बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने के लिए शिक्षा को मौलिक कानून बनाया है।