(गत पोस्ट से आगे,ज़ारी....) अब कृत्रिम बुद्धि चालित ऐसे रोबो सर्जन तैयार कर लिए गयें हैं (बेशक व्यवहार साध्य अध्धय्यनों और आजमाइशों से गुज़र रहें हैं)जो ना सिर्फ मेन-मेड एवं फैंटम लीस्ज़न(चोट,घाव,क्षत आदि) में अंतर कर लेतें हैं घाव तक वांछित औज़ार को पहुंचाकर कई नामूने(साम्पिल्स) उठा सकतें हैं.कह सकतें हैं यह मार्च है-ऑटोनोमस-रोबोट्स की दिशा में.पहला कदम उठा लिया गया है.कई साधारण चिकित्सा कर सकेंगें ऐसे यंत्र मानव बिना डॉक्टरी मदद के ।
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इस द्रुत गति से जीता जीवन, साँस न देती साथ देह का,गति इतनी कि यंत्र मानव है इसमें,गति अणु युग की मूल मान्यता,जीवन रस बन गया गरल, न जाने क्या आगे है।अपनी मंजिल....मिटता प्यार तनाव सुगम प्रसरित है,हृदय, हृदय में दूरी है पृथकत्व है,यह अपनी कृति यंत्र हमें ही मेटती,सोता विवेक, दे सके कौन गुरु मंत्र है,जन पदार्थ-मद पीने में कितना आगे है।अपनी मंजिल....यंत्रों की धड़ धड़ में जीवन,होता जाता है यंत्र सदृश,मानव का मूल्य घिसा जाता,है कृष्ण पक्ष के चन्द्र सदृश,शोषण में पोषक ही सबसे आगे है।अपनी मंजिल.......सत्यनारायण गुप्त 'कुमुद'