२.-छाया में सुखाये हुए आक के फूल, यवक्षार, कलमीशोरा और कुसुंभ बीज-इन सब औषधों को समान भाग लेकर हरी दूब (घास) के रस में खरल करें ।
32.
अर्थात्-लोहे के पात्र में रखे गए सुशक्त जल (तेजाब का घोल) का सानिध्य पाते ही यवक्षार (सोने या चांदी का नाइट्रेट) ताम्र को स्वर्ण या रजत से आच्छादित कर देता है।
33.
* आँतों की वेदना: अजवाइन सेंधा नमक, संचरा नमक, यवक्षार और हर्रे इन सबका समान भाग लेकर चूर्ण करके पाँच से दस रत्ती तक की मात्रा लेने से आँतड़ियों की वेदना और उदरशूल दूर होता है।
34.
-जौ की राख को शहद के साथ चटाने से खांसी ठीक हो जाती है |-जौ की राख को पानी में खूब उबालने से यवक्षार बनता है जो किडनी को ठीक कर देता है |
35.
-जौ की राख को शहद के साथ चटाने से खांसी ठीक हो जाती है |-जौ की राख को पानी में खूब उबालने से यवक्षार बनता है जो किडनी को ठीक कर देता है |
36.
लगभग 10 ग्राम मिर्च, 20 ग्राम पीपल, 6 ग्राम यवक्षार, 20 ग्राम अनार के फल का छिलका और 80 ग्राम गुड़ को बारीक पीसकर गुड़ में मिलाकर 3-3 ग्राम की गोलियां बना लें।
37.
सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी ठीक हो जाती है।
38.
बड़ी हर्रे, छोटी पीपल और रोहितक की छाल को लेकर पकाकर काढ़ा बना लें, फिर इसी काढ़े में यवक्षार एक चौथाई से आधा ग्राम की मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम पीने से स्तनों में होने वाली रसूली या गांठें मिट जाती हैं।
39.
आवाज का बैठना:-* अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।
40.
चूँकि मैं दवाओं के नजदीक रहता था इसलिए ईनो, नीबू-सोडा, ठंडा दूध के साथ एंटएसिड, एसीलौग, रिनाटीडीन जैसी एलोपैथिक दवाएं अथवा आयुर्वेदिक दवा अविपत्तिकर चूर्ण, शतावरी मंडूर, शंखादि चूर्ण, यवक्षार आदि का लाक्षणिक प्रयोग, उपलब्धि के अनुसार करता रहता था.