मेरे भोपाल जाने के कई युक्तियुक्त कारण रहते हैं मगर जाने की बारम्बारता फिर भी कम रहती है-मगर मैं मौके की प्रतीक्षा करता रहता हूँ-इस बार की यात्रा सुखद और दुखद कारणों के मेल से हो रही है. सुखद कारण यह कि विज्ञान संचारकों /लेखकों की बैठक में शिरकत करनी है और ठीक वैलेंटाईन के दिन ही अपनी एक चिर परिचिता मित्र के साथ सानिध्य के कुछ पल गुजारने को मिल जायेगें और एक वैलेंटाईन डिनर पार्टी की सौगात भी.