3. धनवान होना, समाज की / लोगों की ज़रूरतों की चीज़ें बनाना / बेचना, कई लोगों को रोजगार मुहैया करा सकना (आज के टाटा बिडला अम्बानी की तरह?) मैं धार्मिक व्यवस्थाओं / सुव्यवास्थाओं / कुव्यवस्थाओं या अप्व्यवस्थाओं की बात नहीं कर रही, मैं सिर्फ सम्मान पाने के योग्य कर्म पथों की बात कर रही हूँ ।