जैसे की सम्बंधित शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है की रजोदर्शन के बाद स्त्री-पुरुष के संसर्ग से संतान की प्राप्ति होती हैं।
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रजोदर्शन के बाद 16 दिनो के भीतर समदिनों का गर्भाधान पुत्रप्राप्तिपद और विषम दिनो का गर्भाधान कन्या प्राप्ति के लिए कहा गया है ।
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रजोदर्शन के बाद 16 दिनो के भीतर समदिनों का गर्भाधान पुत्रप्राप्तिपद और विषम दिनो का गर्भाधान कन्या प्राप्ति के लिए कहा गया है ।
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भद्रा, षष्ठी पर्व के दिन,चतुर्दशी,अष्टमी,अमावस्या,पूर्णिमा,रिक्ता तिथियाँ,प्रातः और साँय संध्या,भोम,सूर्य और शनिवार रजोदर्शन दिन से आगे तक के चार दिन,ये सब गर्भाधान मे त्याज्य हैं ।
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इसकी 1 से 2 गोली को गाय के दूध के साथ सेवन करने से रजोदर्शन (मासिकस्राव) होकर पुत्र की प्राप्ति होती है।
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शीघ्र रजोदर्शन ज्यादा से ज्यादा हो रहा है-क्योंकि 8 वर्ष की उम्र की लड़कियों में भी मासिक धर्म की घटनाएं देखी गयी हैं।
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तुलसी पत्र के काढ़े की एक प्याली यदि प्रतिमास रजोदर्शन के बाद तीन दिन तक नियमित रूप से सेवन की जाए तो गर्भस्थापना नहीं होता ।
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यदि 15 या 16 वर्ष की उम्र तक आपको रजोदर्शन नहीं हुआ है, तो आपको अपने डाॅक्टर से मिलकर अंतर्निहित समस्याओं का निर्धारण कर लेना चाहिए।
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(१०) कानीय रजोदर्शन-निश्चित वय या काल से पूर्व ही रजस्राव के होने को कहते हैं तथा इसी प्रकार के यौवनागमन को कानीय यौवनागमन कहते हैं।
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असभ्यता के लिए क्षमा लेकिन क्या पुरुषो को भी मजबूरन रजोदर्शन करना अनिवार्य कर दिया जाएगा यदि ऐसे ही समानता के समर्थक शासन में आ जाये.