युध्द के उत्साह से युक्त सेनाओं का रण प्रस्थान युध्द के बाजों का घोर गर्जन, रण भूमि में हथियारों का घात-प्रतिघात, शूर वीरों का पराक्रम और कायरों की भयपूर्ण स्थिति आदि दृश्यों का चित्रण अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
32.
विधायिका के सदन रण भूमि बन जाते हैं वहां पर वाक युद्ध लडा जाता है लोगों के लाखों रूपये खर्च होने के बाद भी देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, रणनीति एंव कानून बनाने वाली संस्थाओं में कोई काम नहीं हो पाता है।
33.
उनके सामने जो मैदान में खड़ा होता है उनके साथ संघर्ष करता है और जिस तरह पानी का बुलबुला थोडी देर में ख़त्म हो जाता है, उसी तरह रण भूमि में खड़ा होने वाला शत्रु का दल, थोडी देर में ख़त्म हो जाता है.
34.
जाति के रथ पे सवार तमाम राजनीतिक दलों की सेनाएं लोकतान्त्रिक रण भूमि में अपने कौशल दिखाने के लिए नाना प्रकार के हथकंडे अपनाने में कोई गुरेज़ नहीं करती है | वर्तमान राजनीति में नैतिकता की बातें कभी कदार जिह्वा का स्वाद बदलने हेतु राजनेता कर लेते है और...
35.
हे राजस्थान! तू अपनी वीरता पर गर्व मत कर, रुष्ट भी मत हो और न रण भूमि में लड़ने के लिए प्रतिकार के रूप में किसी प्रकार के मूल्य की ही कामना कर | क्योंकि आज तक दिल्ली की रक्षा के लिए आयोजित युद्धों के नक्कारे तेरे ही बल-बूते बजते रहे है |
36.
जब महलों के प्राँगण में स्त्रियाँ जौहर की रस्म करतीं थी, तो उस के साथ ही रण भूमि पर शत्रुओं की विशाल सैना के सामने राजपूत केसरिया वस्त्र पहन कर ‘ साका ' की रस्म अदा करते थे और धर्म तथा स्वाभिमान की खातिर युद्ध कर के शत्रु के सामने झुकने के बजाय अपनी आत्म बलि देते थे।
37.
सर आज आपका ब्लॉग पड़कर सबसे पहले मेरे अंदर जो छवि आई वो भगवत गीता के श्री कृष्ण के विराट रूप की आई जिस प्रकार श्री कृष्ण ने रण भूमि में कौरवो के विनाश को पहले हे देख लिया था मुझे लग रहा है आपने भी राजनीती रणभूमि में स पा के अंत का भविष्य पहले ही देख लिया है!
38.
झाला ने अपने स्वामी की रक्षा हेतु बलिदान दिया और इमानदार अश्व चेतक ने भी अपने स्वामी को सुरक्षित स्थल पर ले जाकर अपने प्राण त्याग दिए! इस घटना क्रम में शक्तिसिंह का भी जमीर जाग उठा और उसने राणा का पीछा कर रहे मुग़लों को मार गिराया! दोनों भाई आपस में मिले! उधर रण भूमि में भीषण तांडव मचा था!
39.
2. खेल आयोजन महाकुंभ कहे जाते हैं और खेल के मैदान में भारत के राम श्रीलंकाई रावण को रण भूमि में परास् त करते हैं, फिर तो सचिन क्रिकेट के भगवान ही हु ए. 3. यह भी कहा जाता है कि भगवान भी मानव जीवन की चाह रखते हैं, सोलह कलाओं से पूर्ण होने के बाद भी वे अधूरे होते हैं.
40.
इधर भरत जी रोते-रोते दुःख और ग्लानि के कारण विलाप करने लगे, ‘‘ हाय, मैं कितना बड़ा पापी हूं कि वहां कौशल राज्य की राजरानी का अपहरण हो गया, प्रभु श्रीराम लंका पर आक्रमण करना पड़ा, मेरा प्यारा भाई लक्ष्मण रण भूमि में अचेत पड़ा है और उसे जीवित करने के लिए संजीवनी ले जाने वाले को मैंने बाण मार कर नीचे गिरा लिया।