इसी क्रम में अनुसन्धानकर्ता अभयकरण (पी. डब्ल्यू. 20) ने यह कहा है कि उसने साक्षीगण परबतसिंह, सुरेशकुमार व शशिकान्त के बयान लिये थे जिनके बयानों में यह बात आई थी कि टेªप के दौरान आरोपी सम्पतराज ने कहा कि उसने मोहनसिंह (परिवादी) को पट्टा की राशि की रसीद ले जाने के लिये कहा था किन्तु मोहनसिंह रसीद लेकर नहीं गया।
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उसे इस बात का पता नहीं है कि टेªप कार्यवाही के दौरान सम्पतराज ने पुलिस उप अधीक्षक को यह कहा हो कि उसने मोहनसिंह को पट्टा की राशि की रसीद ले जाने के लिये कहा था लेकिन मोहनसिंह रसीद लेकर नहीं गया (फर्द प्रदर्श पी. 23 का हिस्सा ई से एफ) क्योंकि उसने इस फर्द पर हस्ताक्षर करते समय इसे पढ़ा नहीं था।
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अभियोजन-स्वीकृति से पूर्व उसने टेªप अधिकारी परबतसिंह के बयान पढे़ हो तो ध्यान नहीं है किन्तु उसके बयान में यह बात होगी कि उनके द्वारा आरोपी से 800 /-रू0 के बारे में स्पष्टीकरण पूछने पर आरोपी ने उन्हें यह बताया कि उसने मोहनसिंह को पट्टे की राशि की रसीद ले जाने के लिये कहा किन्तु वह रसीद लेकर नहीं गया और पट्टा की फीस के 300/-रू0 व पंचायत विकास शुल्क एवं भेंट-चन्दा के 500/-रू0 होना बताया।
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लालच में आकर इस विभाग के कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं और इस तरह कि गिरी हुई हरकत को अंजाम देते है | अक्सर ये भी देखने में आता है कि तेल के टैंकर पूरे भरे भी नहीं जाते हैं लेकिन नगर निगम के अधिकारी पूरी रकम की रसीद लेकर सम्बन्धित अधिकारी (जिस कंपनी का टैंकर है) उसको दे देते हैं | गलती से अगर तेल भर भी दिया जाता है तो बाद में इसको चुरा कर बेंच दिया जाता है |
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बिरौल, असं: प्रखंड मुख्यालय में वरीय प्रभारी पदाधिकारी सह डीएसओ कृष्णमोहन प्रसाद ने शनिवार को अपराह्न आरटीपीएस कार्यालय का जायजा लिया। इस दौरान आवेदक के पिता से प्रमाण पत्र की प्राप्ति रसीद लेकर उसका अवलोकन किया। मौके पर स्थानीय पुलिस को भी बुला लिया गया था। इस कारण आरटीपीएस कार्यालय में हड़कंप मच गया। डीएसओ ने कर्मियों से कई जानकारियां लेने के बाद बताया कि साढ़े तीन बजे तक 170 आवेदन आए थे। वहीं दर्जनों आवेदक काउंटर पर चिलचिलाती धूप में कतार में खड़े थे। इस बीच प्रखंड प्रमुख गणेश पासवान, भाजपा