जो सबसे सीनियर सांड़ था यानी कि राजचिन्ह के साथ इलाके में छोड़ा गया पहला सांड़, ने सोचा कि राजा की औकात ही क्या? उसके लिए इलाके में मैं दहशत फैलाता हूं और वह मेरी फैलाई हुई दहशत के आधार पर राज करता है।
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राजचिन्हों की पवित्रता के जिन्हें ख्याल है, क्या वे देश के आज के माहौल की हकीकत को देख रहे हैं, जिसमें राजचिन्ह के सिंहों की खुराक की बोटियां सरकारी कुर्सियों पर बैठे लोग खा रहे हैं, और सिंह टुकुर-टुकुर देख रहे हैं?
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10. हल्दीघाटी युद्ध में प्रताप के घोड़े चेतक घायल हो जाने पर परिस्थिति को समझते हुए किस वीर राजपूत ने राजचिन्ह और ध्वज अपने हाथ में ले लिया और प्रताप के स्थान पर स्वयं लड़ कर प्रताप को युद्ध मैदान से बाहर निकाला था?
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हल्दीघाटी युद्ध में प्रताप के घोड़े चेतक घायल हो जाने पर परिस्थिति को समझते हुए किस वीर राजपूत ने राजचिन्ह और ध्वज अपने हाथ में ले लिया और प्रताप के स्थान पर स्वयं लड़ कर प्रताप को युद्ध मैदान से बाहर निकाला था? राजराणा वीदा (झाला मान)
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बोधिसत्तव ने मृगावतार के दौरान, फाख्ता को मारने को तत्पर राजा को बदले में अपना जीवन अर्पित करदिया था, राजा ने प्रेरित हो कर तब इस क्षेत्र को मृगों के लिए संरक्षित करदिया था. …. हमने वहां पर अपने देश (भारत देट इज़ इण्डिया) का राजचिन्ह भीदेखा.
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अब अगर इस राजचिन्ह को एक कार्टूनिस्ट ने अपने हिसाब से बदलकर उसे ही लुटेरी सत्ता के प्रतीक के रूप में भेडिया बना दिया है, तो यह अभिव्यक्ति की एक बहुत साधारण सी स्वतंत्रता है, और इसके लिए एक मुर्दा अंगे्रज कानून की आड़ लेना शर्मनाक है।
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जैसा कि पतंजलि ने कहा है, वह संघ इसलिए कहलाता है कि वह एक संस्था या सक समूह है जैसा कि हम अभी आगे चलकर बताएंगे, एक राजनीतिक समूह या संस्था के रूप में संघ के उसी प्रकार राजचिन्ह या लक्षण आदि होते थे, जिस प्रकार किसी राजा या सार्वजनिक नागरिक संस्था के होते थे।
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इस युद्ध के बाद कई वर्षों तक मुगलों के आक्रमण को विफल करने में भीलों की शक्ति का अविस्मरणीय योगदान रहा है तथा उनके वंश में जन्मे वीर नायक पूंजा भील के इस युगों-युगों तक याद रखने योग्य शौर्य के संदर्भ में ही मेवाड़ के राजचिन्ह में एक ओर राजपूत तथा एक दूसरी तरफ भील प्रतीक अपनाया गया है।
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सिन्धुघाटी के प्राचीनतम निवासी मीणाओ का अपनी शाखा मेर, महर के निकट सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हुए कहा जा सकता है कि-सौराष्ट्र (गुजरात) के पश्चिमी काठियावाड़ के जेठवा राजवंश का राजचिन्ह मछली के तौर पर अनेक पूजा स्थल “ भूमिलिका ” पर आज भी देखा जा सकता है इतिहासकार जेठवा लोगो को मेर(महर,रावत) समुदाय का माना जाता है जेठवा मेरों की एक राजवंशीय शाखा थी जिसके हाथ में राजसत्ता होती थी (
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लालकिला के आरामगाह मे प्राचीन हिन्दू राज चिन्ह देदीप्तमान सूर्य का एक बड़ा प्रतिबिम्ब समाविष्ट है | इसके दोनों पक्षो मे पवित्र हिन्दू अक्षर ॐ है | कमल नाल पवन हिन्दू कलश (कुम्भ) पर स्थित है | हिन्दुओ के लिए अति पवित्र चार शंख उस स्फटिक फ़लक मे देखे जा सकते है | तुला वाला हिन्दू राजचिन्ह जिस राजोचित भाग मे है उसी कक्ष द्वारो पर गजमस्तक बने हुए है जिन पर महावत बैठे है | हिन्दू सूर्य चिन्ह सबसे बाहरी द्वार से लेकर सर्वाधिक भीतरी भाग तक सम्पूर्ण किले मे उत्कीर्ण है |