कृष्ण को बहुत दुःख हुआ उन्होने सोचा कि क्योँ न इस सम्बन्ध मेँ बुद्विजीवी लोगोँ से राय ली जाय तो वह विश्वविघालय पहुँच गये वहाँ पर वो राजनीतिक विभाग के प्रमुख से मिलकर अपनी वेदना कह सुनायी और बोले कि आप ही बताओ कि भला मैँ क्या किसी जाति विशेष का हूँ क्या? इस पर प्रोफेसर साहब बोले कि मैनेँ जितना भी ज्ञानार्जन किया उससे इसी नतीजे पर पहुँचा हूँ कि मैँ कायस्थ हूँ।