5 मई, 2009 को द वॉशिंगटन टाईम्स ने की तुलना पृथ्वी दिवस से की, दावा किया कि अर्बोर दिवस पेड़ों का एक खुश, गैर-राजनैतिक उत्सव है, जबकि पृथ्वी दिवस एक निराशावादी, राजनैतिक विचार है जो मानव में नकारात्मक रोशनी को दर्शाता है.
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क्यों ना राजनैतिक दल अपने व अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन और अपने राजनैतिक विचार धारा के अनुरुप ढालने का कोशिश करती है, क्योंकि किसी भी दल के विचारधारा में न तो भ्रष्टाचार को जायज बताया जाता है और कार्यकरता के आचरण को भ्रष्टाचारी।
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क्यों ना राजनैतिक दल अपने व अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन और अपने राजनैतिक विचार धारा के अनुरुप ढालने का कोशिश करती है, क्योंकि किसी भी दल के विचारधारा में न तो भ्रष्टाचार को जायज बताया जाता है और कार्यकरता के आचरण को भ्रष्टाचारी।
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अपनी मृत्यु से एक वर्ष पहले अपनी उम्र भर की साथी सिमोन द बोआ के साथ ' डायलाग' में सार्त्र लगभग घोषणा करते हैं-बीस वर्ष की उम्र में मेरे कोई राजनैतिक विचार नहीं थे, यह कहना भी अपने आप में एक राजनैतिक मुद्दा है।
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अपनी मृत्यु से एक वर्ष पहले अपनी उम्र भर की साथी सिमोन द बोआ के साथ ' डायलाग' में सार्त्र लगभग घोषणा करते हैं-बीस वर्ष की उम्र में मेरे कोई राजनैतिक विचार नहीं थे, यह कहना भी अपने आप में एक राजनैतिक मुद्दा है।
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ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यूपीए के घटक दल और खुद कांग्रेस के मंत्री अपना बोरिया बिस्तर बंधते देखने लगे हैं और सत्ता में फिर से वापसी की खातिर अपने मूल राजनैतिक विचार को सुरक्षित राष्ट्र संचालन के कर्तव्य पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं।
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ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यूपीए के घटक दल और खुद कांग्रेस के मंत्री अपना बोरिया बिस्तर बंधते देखने लगे हैं और सत्ता में फिर से वापसी की खातिर अपने मूल राजनैतिक विचार को सुरक्षित राष्ट्र संचालन के कर्तव्य पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं।
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इमाम ख़ुमैनी के राजनैतिक विचार में पीड़ितों का समर्थन वह उद्देश्य है जिसने इस्लामी क्रान्ति को ईरान की भौगोलिक सीमा से आगे बढ़ाया और इस क्रान्ति को न केवल इस्लामी आंदोलनों बल्कि स्वतंत्रता के लिए चलाए गए आंदोलनों से भी एक ज़ंजीर की कड़ी की भांति जोड़ा है।
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ये अपना विचार हो सकता हैं लेकिन इस बात का जिक्र न करना की सलवाजुडूम और अब तथाकथित गिरोहों को जो जिन्हें पुलिस पनाह दे रही हैं ७ ० से ऊपर हैं उन्हें नक्सल मान कर अगर आप किसी राजनैतिक विचार की आलोचना करते हैं तो बात समझ में आ जाती हैं..
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श्री यादव उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब में जाने माने पत्रकार, संपादक व सांसद के रामाराव की 50 वीं पुण्यतिथि व वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव की चौथी पुस्तक एक पत्रकार की राजनैतिक विचार यात्रा के विमोचन के मौके पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निर्बाध या नियंत्रित विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।