उदाहरण के लिए, कुछ लोगों का मानना है कि पान की रानी इंग्लैंड के राजा हेनरी सप्तम की राजमहिषी योर्क की एलिजाबेथ का प्रतिनिधित्व करती है, या कभी-कभी यह भी माना जाता है कि हेनरी अष्टम की दूसरी पत्नी एन्ने बोलेन का यह प्रतिनिधित्व करती है.
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कुछ दिनों के तर्पण से कितना तृप्त करते हैं फिर पूरे साल यह पिछलग्गू बनी दौड़ी फिरती है राजमहिषी का पद छोड़ चाकरी करती है और जो दूसरी सिरचढ़ी है, जिसकी तूती बोलती है देश की बोलती बंद करने का दहशत फैलाती है |..
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उदाहरण के लिए, कुछ लोगों का मानना है कि पान की रानी इंग्लैंड के राजा हेनरी सप्तम की राजमहिषी योर्क की एलिजाबेथ का प्रतिनिधित्व करती है, या कभी-कभी यह भी माना जाता है कि हेनरी अष्टम की दूसरी पत्नी एन्ने बोलेन का यह प्रतिनिधित्व करती है.
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उन तमाम प्रश्नों का उत्तर है कि हां, ये सभी काम धर्मविरुद्ध हैं, पर उसके बावजूद, सत्यवती और कुन्ती को महाभारतकालीन समाज में राजमहिषी का सम्मान मिला और वे दुराचारिणी कतई, कतई नहीं मानी गईं, न आज तक भी मानी जाती हैं।
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भैंसा: हे महिष्नन्दिनी! प्रिये! आप इस तरह के वचन मत बोलिए! हम आपके लिए आकाश पाताल एक कर देंगे! हमने आपके जैसी अनिन्ध्य सुन्दरी और रूपवती कोई दूसरी राजमहिषी नही देखी! आज से आप हमारे दिल की रानी हैं! हम आपसे अभी और इसी वक्त शादी करना चाहते हैं!
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हे महिष्नन्दिनी! प्रिये! आप इस तरह के वचन मत बोलिए! हम आपके लिए आकाश पाताल एक कर देंगे! हमने आपके जैसी अनिन्ध्य सुन्दरी और रूपवती कोई दूसरी राजमहिषी नही देखी! भैंस: ये आपकी जर्रानवाजी है मेरे सरताज! भैंसा तो 'बैजू बावरा' होके बोल रहा है और भैंस 'मुगले आजम' अनारकली बनके....लगता है दोनों ही फिल्मों के काफी शौकीन हैं:) काफी मजेदार पोस्ट।
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पसरी हुई है मौन दूधिया रौशनी डरी सी बिछी हुई करीने से कटी हुई घास ग्रेनाईट पत्थर से चकाचक अम्बेडकर पार्क में जंगल के सबसे विशाल जानवर खड़े हैं पंक्तिबद्ध सावधान राजमहिषी के अगले संकेत की प्रतीक्षा में अमरत्व की चाह सा उभरा तुम्हारा नाम शिलापट्टिका पर जानती हो भरता रहा हम में विजेता भाव वह गौरव का दिन भूले नही हैं हम कि जब तुम्हारे सामने शकुनियों दु: शासनों की हताश फौज ने किया था आत्म समर्पण....
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अगर सम्राज्ञी ‘ राजमहिषी ' हो सकती थी, तो जिस अनुपम भैंस ने इस तुलना को जन्म दिया वह स्वयं क्यों नहीं लोकतन्त्र की प्रतीक हो सकती? संस्कृत में कहा है, ‘ त्वमक्षरं परमं वेदितव्यम् ', और हिन्दी में कहावत है, ‘ काला अक्षर भैंस बराबर '-तो क्या भैंस ही हमारी परम वेदितव्य नहीं सिद्ध हो जाती? लेकिन बात फूलों की हो रही थी, फूलों में भी गेंदे के फूल की।
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पसरी हुई है मौन दूधिया रौशनी डरी सी बिछी हुई करीने से कटी हुई घास ग्रेनाईट पत्थर से चकाचक अम्बेडकर पार्क में जंगल के सबसे विशाल जानवर खड़े हैं पंक्तिबद्ध सावधान राजमहिषी के अगले संकेत की प्रतीक्षा में अमरत्व की चाह सा उभरा तुम्हारा नाम शिलापट्टिका पर जानती हो भरता रहा हम में विजेता भाव वह गौरव का दिन भूले नही हैं हम कि जब तुम्हारे सामने शकुनियों दु: शासनों की हताश फौज ने किया था आत्म समर्पण....