| 31. | जब लौं न सब रिपु नासि, पाटलिपुत्र फेर बसाइहौं।
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| 32. | वैसी ही रिपु की रही, रुदन-अश्रु-जल-धार ॥
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| 33. | नमस्ते रिपु ध्वंसकारी त्रिमूर्ति, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।
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| 34. | बदला लेगा रिपु से अपमानित भारत का,
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| 35. | खाएंगे रिपु मात, प्राण से भी जाएंगे,
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| 36. | जीतन कहँ न कतँहु रिपु ताके ।।
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| 37. | निर्भय हो मेरे वतन, खाएंगे रिपु मात॥
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| 38. | अतुल अलौकिक साहस दे दो रिपु मर्दक क्षत्राणी जननी
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| 39. | उसके रिपु के वश उसे, बनायगा वह दास ॥
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| 40. | आलस्य, निद्रा, तंद्रा, जड़ता, रिपु और इंद्रियगण।
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