दिन में सोने से कफ की वृद्धि होकर शरीर में स्निग्धता बढ़ जाती है परंतु बैठे-बैठे थोड़ी सी झपकी लेना रूक्षता व स्निग्धता दोनों को नहीं बढ़ाता व शरीर को विश्राम भी देता है।
32.
इस उपस्कर के प्रयोग से कुट्टिम रूक्षता मापन में अधिकतम विश्वसनीय और सही आंकड़े प्राप्त करने के लिए इसे बेहतर रूप से 40 से 60 कि. मी. / प्रति घंटे के बीच की गति से किया जाना अपेक्षित है ।
33.
1. वातज पीलिया: वातज पीलिया में आंखे और पेशाब में रूक्षता, कालापन तथा लाली दिखाई देती है, शरीर में सुई चुभने जैसी पीड़ा तथा कम्प, अफरा, भ्रम और शूल के लक्षण दिखाई देते है।
34.
अति रक्तस्राव की स्थित मिें रूक्षता के कारण कोशिकाओं को टूटने से बचाने के लिए यह स्तंभक की भूमिका अदा करता है परन्तु कोरोनरी धमनियों में यह धक्का नहीं जमने देता तथा बड़ी धमनी से प्रतिमिनट भेजे जाने वाले रक्त की मात्रा बढ़ाता है।
35.
ध्वनि का प्रकार, उसका तारत्व (pitch), उसकी तीव्रता अथवा मन्दता (intersity), उसकी मधुरता या रूक्षता आदि वायु तरंगों की आवृत्ति (frequency), आकार (size) तथा आकृति (form) पर निर्भर करता है।
36.
प्रलाप के साथ अनियमित बुखार, सर्वांग वेदना, जम्हाई, स्वादहीनता, ठंडक के प्रति अरुचि, गर्मी के प्रति रूझान उत्पन्न होना, दांत किटकिटाना, रूक्षता, अनिद्रा, आध्यमान और शरीर में स्तब्धता होना, यह वातिक सूतिका ज्वर के लक्षण हैं।
37.
अंधेरे के राजकुमार, जो काले के व्यक्ति में, उसकी आवाज़ में स्थिति में वह था द्वारा उत्पन्न निराशा भेद, और तब विश्वास की कमी और डर है कि वह उसके लिए लगा है, वह उसे पूरी तरह से उदासीन पर देखा है, और उसकी आवाज में एक असली रूक्षता के साथ उससे बात की:
38.
घर में दस-दस, बारह-बारह आदमी. सास ससुर, ननद देवर सब. हॉ बेटा. तुम्हारे दत्ता साहब के पिता की सूरत देखने के लिए भी तरस जाती थी बेटा. (हँसकर अपने लहजे में) कह रही थी, बात तक नही हो पाती थी दत्ता साहब के पिता से. कैसी अजीब बात है. है न? विनोद: (उपेक्षा से) हूं. ठीक है. (रेखा विनोद की रूक्षता से निराश होती है.) विनोद: (तटस्थता से) तुमने क्या कहा..
39.
की वरौनियों से झुकी हुई, उन तीन आंखों में से, एक जो बायीं आँख है, वह तो बायें भाग में समासीन प्रिया पार्वती जी के मुखकमल में लगी हुई है, अर्थात् वदनकमल के सौन्दर्य में समासत्तफ है, पुन: दूसरी आँख जो ललाट में स्थित है, वह कामदेव के विषय में अब निवैर है, अर्थात् अब उस ललाटस्थित अग्निरूप नेत्रा ने कामदेव के संबंध् में होने वाली अपनी रूक्षता को भी समाप्त कर दिया है।
40.
अर्क, बासा, यव, अपामार्ग और केला-इन सब के क्षार जो समय पर मिल जायें, समान भाग ले लेवें और जितना क्षार हो, उतना ही सितोपलादि चूर्ण ले लेवें और इनमें थोड़ी मात्रा में गोघृत मिला लेवें जिससे इनकी रूक्षता दूर हो जाये और १ माशे से तीन माशे तक औषध मधु में मिलाकर रोगी को दिन रात में अनेक बार उसकी आयु, रोग और शक्ति को देखकर चटायें ।