यह पिछड़े मूल्यों से ग्रस्त समाज में ऐसी किसी भी पार्टी से संभव नहीं था जो संसद तक पहुंचना या उसमे बने रहना चाहती थी क्योंकि यह रूढिगत समाज के भावनाओं के खिलाफ था, भले ही वह अलोकतांत्रिक था और वोट की राजनीति इन्हीं भावनाओं के आधार पर होनी थी.
32.
अतएव प्रत्येक राजपूत परिवार को अपने जीवनयापन के लिए मुख्य धंधे के रूप में कृषि को ही स्वीकार करना चाहिये | वस्तुस्थिति भी यही है कि राजपूतों के पास कृषि के अतिरिक्त और कोई धंधा है भी नहीं | पर इस कार्य को करते समय महाजनों के शोषण और रूढिगत कार्यों से सदैव सावधान रहना चाहिये |
33.
यह सब लिखने का कारण व्यक्तिगत ना होकर सामाजिक है और हम भारतीयों के सोच संस्कार और परंपरा जन्य व्यवहार का एक हिस्सा भी. नारी विमर्श का विषय भी और आज के परिप्रेक्ष में भी हमारी रूढिगत सोच समझ के विश्लेषण का विषय भी.पुरुष प्रधान समाज और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के सूत्र और स्रोत ग्रंथि का मनोवैज्ञानिक अध्ययन भी.
34.
यदि एक भिन्न धर्म में धर्मांतरण के कारण, काफी समय पूर्व / उसके पूर्वज रुढी, अनुष्ठान और अन्य परम्पराओं का पालन नहीं कर रहे हैं, जिन्हें उस जनजाति के सदस्यों द्वारा अनुसरण किए जाने की अपेक्षा की जाती है और उत्तराधिकारी, विरासत, विवाह इत्यादि की रूढिगत विधियों का भी अनुसरण नहीं कर रहे हैं तो उसे जनजाति का सदस्य स्वीकार नहीं किया जा सकता है. ”
35.
पुरातन समय में एवं नारी की भारतीय समाज की तथाकथित रूढिगत स्थिति में नारी के उत्प्रीणन पर न जाने कितने ठीकरे फोड़े गए एवं टोकरे भर-भर कर ग्रन्थ, आलेख, कहानियां, कथन, वक्तव्य लिखे-कहे जाचुके हैं एवं कहे-लिखे जा रहे हैं, परन्तु आधुनीकरण के युग में व नारी-उन्नयन के दौर में, प्रगतिशीलता की भाग-दौड़ में स्त्री पर कितना अत्याचार व उत्प्रीणन हो रहा है उसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा |