बीबीसी हिंदी सेवा की अध्यक्ष रहीं अचला शर्मा का जुड़ाव जितना रेडियो पत्रकारिता से रहा, उतना ही लेखन से भी है.
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रेडियो पत्रकारिता समय सीमा के अन्तर्गत चलती है इसलिए इस पत्रकारिता की खूबी है कि 20 या 30 शब्दों में समाचार तैयार करें।
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पत्रकारिता-सर्वेश्वर जी पहले रेडियो पत्रकारिता से जुड़े, फिर 1964 में दिनमान पत्रिका के माध्यम से उन्होंने प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता का आरंभ किया।
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इस शोध संगोष्ठी के उद्धाटन सत्र में डॉ 0 वेद प्रकाश वैदिक ने आनन्द प्रकाश ‘ आटिस्ट ' की पुस्तक ‘ रेडियो पत्रकारिता ' का लोकार्पण किया।
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“ रेडियो पत्रकारिता ” पुस्तक, पत्रकारिता के छात्रों के लिए जहां महत्वपूर्ण है, वहीं पत्रकारिता में रूचि रखने वालों के लिए भी इसमें बहुत कुछ है।
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पुस्तक के लोकार्पण के उपरान्त विद्वानों की उपस्थिति में आनन्द प्रकाश ‘ आर्टिस्ट ' ने ‘ रेडियो पत्रकारिता: चुनौतियाँ एवं संभावनाएं ' विषय पर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया।
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लम्बे समय से रेडियो पत्रकारिता से जुडे़ पुस्तक के संपादक संजय कुमार ने लेखों के संपादन में प्रयास किया है कि इसमें अधिकतर लेखक रेडियो से किसी न किसी रूप से जुडे़ रहे हैं।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार की देर शाम सर्वे ऑफ इंडिया के सभागार में मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने चक्रधर कंडवाल की पुस्तक ‘ रेडियो पत्रकारिता एवं कार्यप्रणाली ' नामक पुस्तक का विमोचन किया।
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पुस्तक में रेडियो पत्रकारिता का इतिहास, समाचार लेखन, समाचार की भाषा, वाइस कास्ट, समाचार वाचन, साक्षात्कार, रेडियो के विभिन्न प्रकार और कार्यक्रमों के साथ-साथ भारत में प्रसारण के इतिहास पर रोशनी डाली गयी है।
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दिल्ली विशविविद्यालय से हिंदी में एमए और ' स्वातंत्रोत्तर हिंदी कहानी में महानगर बोध' विषय पर शोध करने के बाद रेडियो पत्रकारिता से जुड़ कर वॉयस ऑफ अमेरिका तथा बीबीसी को अपनी सेवाएं देने के बाद आज वह पूर्णत: लेखन से संबद्ध हैं.