| 31. | सुधा गुप्ता की रचना-रैन बसेरा [चोका]
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| 32. | अब रैन बसेरा का कोई संशय नहीं था।
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| 33. | बिछुडे मीत मिले नही नीर बहें दिन रैन
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| 34. | दालिम काका भी मिले, आधी बीती रैन ||
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| 35. | खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।
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| 36. | देनहार कोई और है भेजत हैं दिन रैन
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| 37. | भोर भई अब रैन कहां तू सोवत है.
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| 38. | आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन, विरह कलेजा खाय॥
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| 39. | माटील्डा शी टुक मी मनी एन्ड रैन वेनेज़ुएला
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| 40. | कैसे काटूँ रैन, बिरानी सेज अजानी डाल की
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