| 31. | विक्रम की प्रथम शताब्दी के आरम्भ में रोमक इतिहास लेखक ' द्यौद्रस् सलस् ' लिखता है-
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| 32. | रोमक देह में होने वाले ट्यूमर को कभी कभी आईरिस या रोमक देह मेलेनोमा कहा जाता है.
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| 33. | रोमक देह में होने वाले ट्यूमर को कभी कभी आईरिस या रोमक देह मेलेनोमा कहा जाता है.
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| 34. | रोमक देह में होने वाले ट्यूमर को कभी कभी आईरिस या रोमक देह मेलेनोमा कहा जाता है.
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| 35. | रोमक देह में होने वाले ट्यूमर को कभी कभी आईरिस या रोमक देह मेलेनोमा कहा जाता है.
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| 36. | नेत्रोद का निर्माण संभवत: रोमक प्रवर्ध की कोशिकाओं से प्राप्त स्फाटकल्पयुक्त तरल के अपोहन से होता है।
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| 37. | नेत्रोद का उत्पादन रोमक पिण्ड (सिलियरी बॉडी) की कोशिकाओं (capillaires) द्वारा होता है।
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| 38. | इसमें रंजितपटल या कोरॉइड, रोमक पिण्ड या सिलियरी बॉडी तथा उपतारा या आइरिस का समावेश होता है।
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| 39. | (3) रोमक पेशी-ये अरेखित पेशियाँ होती हैं तथा अरीय और वृत्तीय ढंग से स्थित होती हैं।
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| 40. | 4. रोमक अथवा परावत जातक (सं. सं. 0 0. आई 4) *
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