बैंगलोर धूप बत्ती, सिल्क, विश्वसनीय आदिवासी गहनें, पीतल और ताँबे के सामान, शैलखटी पत्थर के बुत, सुगंधित चंदन और गुलाब की लकड़ी पर नक्काशी और पीतल पर चढ़ाने की सुनहरी परत के काम को प्राप्त करने का स्थान है।
32.
भवन-निर्माण, लकड़ी पर नक्काशी, संगतराशी, गचकारी, मनोतगिरि, मुसव्वरी, ग्रंथ लेखन, मिट्टी के खिलौने व बर्तन बनाना, कठपुतली बनाना और कई दूसरे कलात्मक शिल्पों का व्यापक विस्तार इस जनपद में तेजी से हुआ।
33.
१८९० में स्थापित, हबीब मलिक एण्ड सन्स नामक यह दुर्लभ ऐतिहासिक दुकान, जिसको आप मॉल में जाकर ना देखें यह नामुमकिन है, और दुकान के भीतर की गई सुंदर लकड़ी पर नक्काशी व काँसे की वस्तुएं तथा गलीचों के कारण अंधेरा होने से यह अल्लादीनकीगुफा-सी प्रतीत होती है।
34.
सोजती गेट, नई सड़क, घंटाघर, त्रिपोलिया बाजार और पैलेस रोड ऐसी जगहें हैं जहां आपको बंधेज की साडियां व दुपट्टे, चमड़े की जूतियां, अर्ध-मूल्यवान रत्न, लकड़ी पर नक्काशी का काम आदि इतनी विविधता में देखने को मिलेगा कि आप असमंजस में पड़ जायेंगे कि क्या छोड़ें और क्या खरीदें।