बू टयां और पौधे:::: इसम सबसे पहले नाम आता है तु लसी का
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समी सम जसी असी बरना में बसी पाप खसी हेतु असी ऐसी लसी बारानसी है ' ।।
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योगाचाय [ने कहा क सबसे अÍछ बात यह है क तु लसी और िगलोय पू रे देश म
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तु लसी के युग का लोक जीवन, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक अलाव की आंच में भुंज रहा था।
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हरिऔघ जी के शब्दों में हम कह सकते हैं-कविता करके तुलसी न लसे, कविता लसी पा तुलसी की कला।
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संवर्धन के लिए प्रयुक्त माध्यम विविध प्रकार के हैं, जैसे रक्तप्लाविका (प्लैज्मा), लसी (सीरम), लसीका, शरीरक्रिया के लिए उपयुक्त लवण घोल (जैसे टाइरोड, रिंगर-लॉक, आदि के घोल)।
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तु लसी से लाभ पाने का सबसे आसान तरका है क हर रोज इसक पांच अÍछ तरह से धु ली ह ु ई पय का इतेमाल कर।
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तुलसी का पौराणिक महत्व तु लसी के ऊपर एक पृथक पुराण लिखा जा सकता है, संक्षेप में तुलसी का धार्मिक व औषधि जनित महत्व अपने इस ब्ल...
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रोग एवं परजीवियों से बचाव के लिए अधिक से अधिक पुष्टाहार तथा टीका एंव लसी चिकित्सा द्वारा पशुओं की प्राकृतिक तथा कृत्रिम प्रतिकार शक्ति में वृद्धि होती है।
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रोग एवं परजीवियों से बचाव के लिए अधिक से अधिक पुष्टाहार तथा टीका एंव लसी चिकित्सा द्वारा पशुओं की प्राकृतिक तथा कृत्रिम प्रतिकार शक्ति में वृद्धि होती है।