| 31. | सुख-दुःख और लाभ-हानि सहन किए होते है।
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| 32. | ‘ लाभ-हानि, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि-हाथ | '
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| 33. | आत्मिक लाभ-हानि की पूर्ण जानकारी सदगुरु को होती है।
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| 34. | बैलेन्सशीट के अनुसार संकलित लाभ-हानि की स्थिति
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| 35. | वहां मात्र लाभ-हानि की चिन्ता रहती है।
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| 36. | पैसे के आधार पर लाभ-हानि को पहचाना।
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| 37. | लाभ-हानि के हिचकोलों में जब खुद को बेबस पाया
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| 38. | हर चीज में हमें लाभ-हानि नजर आने लगती है।
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| 39. | तथा लाभ-हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं।
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| 40. | सुख-दुःख, लाभ-हानि, मान-अपमान आदि सब द्वन्द्व हैं।
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