इसका नाम ' अधोरक्त' इसलिए है क्योंकि विद्युत चुम्बकीय तरंग के वर्णक्रम (स्पॅक्ट्रम) में यह मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण से नीचे या अध:
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भगवान अर्धनारीश्वर शिव के शरीर का दाहिना भाग नील वर्ण का और बायां भाग प्रवाल अर्थात मूंगे की कान्ति के समान लाल वर्ण का है।
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यद्यपि अधिकांश अभ्रक का वर्ण हरा होता है, तथापि कुछ स्थानों पर “बंगाल रूबी' के समान लाल वर्ण का कुछ अभ्रक भी प्राप्त होता है।
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यद्यपि अधिकांश अभ्रक का वर्ण हरा होता है, तथापि कुछ स्थानों पर “बंगाल रूबी' के समान लाल वर्ण का कुछ अभ्रक भी प्राप्त होता है।
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नारी समाज के सौभाग्य में लाल वर्ण की प्रधानता का यही कारण और मस्तक पर लाल वर्ण के रूपमें हम मातृशक्ति धारण करने की कामना करते हैं।
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नारी समाज के सौभाग्य में लाल वर्ण की प्रधानता का यही कारण और मस्तक पर लाल वर्ण के रूपमें हम मातृशक्ति धारण करने की कामना करते हैं।
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इनकी ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, इनका वर्णक्रम लिए होता है विद्युत चुम्बकीय तरंग जिनकी आवृत्ति मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण से नीचे या अध:
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इनकी ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, इनका वर्णक्रम लिए होता है विद्युत चुम्बकीय तरंग जिनकी आवृत्ति मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण से नीचे या अध:
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इसकी पुष्टि इस काल के लाल वर्ण के बालुकाश्म से होती है जिसमें लौहयुक्त पदार्थों का बाहुल्य तथा वानस्पतिक पदार्थों का पूर्णतया अभाव मरुस्थलीय जलवायु का द्योतक है।
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यद्यपि अधिकांश अभ्रक का वर्ण हरा होता है, तथापि कुछ स्थानों पर ” बंगाल रूबी ' के समान लाल वर्ण का कुछ अभ्रक भी प्राप्त होता है।