उनकी किताबों वाली सिरीज़ अनूठी थी, सामान्यतया यहाँ किताबों से सभी दीवाने हैं किन्तु उसे ऐसे लिख डालना प्रभावी लगा है विशेष कर तीसरी किस्त में तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे...
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हाथ बढ़ाये, आँखों पर काली पट्टी चढाये, एक पैर पर कूदती बच्ची हँसती है, झपक कर ताली बजाती है, मेरे खेल में कुछ भी सोचना मना है और सब कुछ लिख डालना वाजिब
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मीडिया में इस तरह की प्रवृत्ति मैं देख रहा हूं, लेकिन सिर्फ इसलिए वामपंथियों की श्रद्धांजलि लिख डालना अभी जल्दबाजी होगी कि उनके समर्थन वापस ले लेने के बावजूद यूपीए सरकार लोकसभा में विश्वासमत हासिल कर चुकी है।
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कल क्या किया यह लिख डालना काफी नहीं-क्यों किया, और क्या दोबारा वही करने की आवश्यकता पड़ेगी? शायद नहीं क्योंकि जो कुछ आज किया जिस स्थिति में किया वह सन्दर्भ दोबारा मेरे जीवन में कभी नहीं रहा.
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मेरे लिए इस किताब को लिखने की खास वजह एक ऐसा काम हाथ में लेना था जिसमें मैं खुद को डुबा सकूं, साथ ही मैं अपनी जिंदगी जो कुछ हुआ उन सब बातों को पूरी तरह से भूल जाने से पहले ही लिख डालना चाहती थी.
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कथित काल में ‘ कथाकार ' कहलाने की क्षुधा से पीड़ित कु छ आकांक्षियों को ऐसा लगता रहा होगा कि यह कच्चा माल ज्यों का त्यों भी समाज की पीड़ा को स्वर देने में सक्षम है और यही ‘ लघुकथा ' है जिसे लिख डालना बहुत आसान काम है।
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तहलका हिन्दी: तीसरे गियर में वाम राजनीति तीसरे गियर में वाम राजनीति ================================================================================ Sanjay Dubey on 28/07/08 07:50:00 मीडिया में इस तरह की प्रवृत्ति मैं देख रहा हूं, लेकिन सिर्फ इसलिए वामपंथियों की श्रद्धांजलि लिख डालना अभी जल्दबाजी होगी कि उनके समर्थन वापस ले लेने के बावजूद यूपीए सरकार लोकसभा में विश्वासमत हासिल कर चुकी है।
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(५) जिन्दगी के जो भी दिन बचे रह गये हैं जी भर कर लिख डालना चाहता हूं वह जो, मित्राों के खयाल में, सिर्फ मैं ही लिख सकता हूं लेकिन जैसा कि शमशेर भाई कह गये हैं-÷ होना भी कहां था वो जो हम समझे थे'-दुःख यही है, मोह भी यही है लेकिन...
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पंद्रह साल पहले की सरकारी टेक्स्टबुक एलान करती थी कि भारत की आत्मा गांवों में रहती तीसरे गियर में वाम राजनीति ================================================================================ Sanjay Dubey on 28 / 07/08 07:50:00 मीडिया में इस तरह की प्रवृत्ति मैं देख रहा हूं, लेकिन सिर्फ इसलिए वामपंथियों की श्रद्धांजलि लिख डालना अभी जल्दबाजी होगी कि उनके समर्थन वापस लेफ्ट और एतिहासिक भूलें ================================================================================ Sanjay Dubey on 17/07/08 06:57:00 यह विडम्बना ही है कि अपने को जनता का प्रतिनिधि कहने वाली लेफ्ट पार्टियाँ हमेशा से ऐतिहासिक भूलें करती आयी हैं.