आम क्रिस्टल त्रि-आयामी होते हैं और अलग-अलग दिशाओं में लैटिस का आवर्त्ती स्वरुप अलग अलग प्रकार का हो सकता है ।
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जब इसको लैटिस स्ट्रक्चर में बुन कर इसमें रेसिन मिलाया जाता है तो जो पार्ट तैयार होता है वह स्टील से अधिक मजबूत होता है।
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1970 के पहले तक यह माना जाता था की इस तरह के लैटिस यानी आवर्त्ती ढांचों में कहीं भी पंचभुजाकर आकृति नहीं हो सकती ।
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जैसे नीचे तस्वीर में सामान्य द्वि-आयामी षड्कोणीय (hexagonal) लैटिस है, जिसमें हर शीर्षबिंदु पर एक परमाणु रख दिया जाए तो एक क्रिस्टल बन जाएगा ।
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जलीय बर्फ, क्लाथ्रेट यौगिकों का निर्माण कर सकते हैं जिन्हें क्लाथ्रेट हाइड्रेट्स कहा जाता है, जिसमें छोटे अणुओं की किस्में होती हैं जिन्हें उसके क्रिस्टल लैटिस में जड़ा जा सकता है.
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जलीय बर्फ, क्लाथ्रेट यौगिकों का निर्माण कर सकते हैं जिन्हें क्लाथ्रेट हाइड्रेट्स कहा जाता है, जिसमें छोटे अणुओं की किस्में होती हैं जिन्हें उसके क्रिस्टल लैटिस में जड़ा जा सकता है.
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ठोस अवस्था के अध्ययन के लिए केवल मणिभ ठोसों पर ही, जिनके अंदर के परमाणु त्रिविमितीय जालीनुमा (लैटिस) ढाँचे के अनुसार तीन स्वतंत्र दिशाओं में व्यवस्थित होते हैं, विचार किया जाता है।
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नेशनल इंस्टीटयूट आफ स्टैंडडर्स एंड टेक्नोलॉजी के भौतिज्ञ एंन्ड्रियू लुडलो ने एक बयान में कहा कि यिट्टरबियम लैटिस घड़ियों की स्थिरता ने उच्च प्रदर्शन वाले समयमापन (टाइमकीपिंग) में अनेक व्यावहारिक अनुप्रयोगों की राह खोली है।
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चक्रीय समरूपता का मतलब है की एक निर्धारित अक्ष पर 360 / 2 = 180, 360 / 3 = 120, 360 / 4 = 90 या 360 / 6 = 60 डिग्री घूमने पर भी लैटिस की संरचना एक जैसी दिखती है ।