पुलिस के मुताबिक, यह दुर्घटना शुक्रवार तड़के घटी जब वे लोग एक नजदीक के गांव से ' यात्रा ' (लोक नाटक) देखकर लौट रहे थे।
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जिसमें बिहार की प्रसिद्ध ध्रुपद-ठुमरी गायन के साथ ही विभिन्न लोक नाटक एवं नृत्य नाटिकाओं के द्वारा उत्तर प्रदेश में बिहार को सांस्कृतिक की झलक दर्शक उठा पायेंगे।
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यह एक हास्य लोक नाटक है जिसमें कई पात्र होते हैं जैसे चेतियर, चिराचि, कुरावन और कुराती और ये बड़ी चतुराई के साथ लोगों को हंसाते हैं।
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‘ जट-जटिन ', ‘ सामा-चकेला ', ‘ डोमकच्छ ' आदि ऐसे ही लोक नाटक हैं, जिनमें कहीं न कहीं पुरुषवादी प्रवृत्ति से मुक्ति की आकांक्षा उपस्थित है।
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मिथिलांचल में दसौत, सामा-चकेवा, झिझिया, जटा-जटिन, झुमरि, रमखेलिया, डोमकछ, लोरिक-सलहेस, गोपीचन्द, विदापत, हरिलता एवं विहुला प्रचलित लोक नाटक रहे हैं।
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साथ ही साथ लोक नाटक तथा कठपुतलियों के द्वारा भाईबहन के आपसी प्यार का संदेश देती हुई प्राचीन कथाआें का आयोजन भी होता है, जिनमें लोग बडी संख्या में भाग लेते हैं।
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लोक नाटक “डोमकछ” बिहार में लगभग हर जगह करने की परंपरा थी, जो अब अपने उस स्थिति में नहीं है, कहीं-कहीं आज भी अवशेष के रूप में अंतिम सांस गिन रही है।
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लोकगीत, लोक नाटक और नुक्कड़ नाटकों के जरिए मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए ‘ पारंपरिक अभियान समिति ' बनायी गई है, जिसे स्मृति ईरानी, कैप्टन अभिमन्यु और वाणी त्रिपाठी देखेंगी।
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लोक नाटक “ डोमकछ ” बिहार में लगभग हर जगह करने की परंपरा थी, जो अब अपने उस स्थिति में नहीं है, कहीं-कहीं आज भी अवशेष के रूप में अंतिम सांस गिन रही है।
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बिहार हिंदी ग्रन्थ अकादमी से प्रकाशित, श्री महेश कुमार सिन्हा द्वारा लिखित किताब “ बिहार की नाटकीय लोक विधाएं ” में इस विधा को ' लोक नाटक ' माना गया है, जो आदिवासी क्षेत्रों में भी किया जाता है.