इस तरह उभयपक्षों को सुनने व पत्रावली पर उपलब्ध अभियोजन साक्ष्य के विश्लेषण के उपरान्त न्यायालय की राय में अभियोजन पक्ष अभियुक्तगण जिला जीत, विनोद लोनिया व मनुआ के विरूद्ध धारा 307 भारतीय दंड संहिता में विरचित आरोप को युक्ति-युक्त सन्देह से परे साबित करने में पूरी तरह असफल है।
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बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा अभियोजन के तर्को का खण्डन किया गया और यह दलील दी गयी कि इस मुकदमे में अभियुक्तगण जिला जीत, विनोद लोनिया एवं मनुआ के फर्जी ढंग से फॅसा दिया गया है, इन अभियुक्तगण ने वादी मुकदमा राम किशन सिंह के साथ कोई मार-पीट नहीं किया था।
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खरगोन जिले की ग्राम पंचायत गोगावां, जबलपुर जिले की 5 ग्राम पंचायत गाँधी ग्राम, करमेता, अगरिया, गोसलपुर और बिलपुरा, नरसिंहपुर जिले की सांईखेड़ा, शाजापुर की मोमन बड़ोदिया, छिन्दवाड़ा की 3 ग्राम पंचायत चंदनगाँव, लोनिया और करबल तथा देवास जिले की सुकलिया-क्षिप्रा ग्राम पंचायत को 5 लाख से अधिक के कर संग्रहण पर 50-50 लाख की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
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जैसा कि अभियुक्त जिला जीत, विनोद लोनिया एवं मनुआ के विरूद्ध न्यायालय द्वारा यह आरोप विरचित किया गया है कि दिनांक 23-4-1999 को समय करीब 12-30 बजे रात्रि बहद स्थान पीपल गॉव चौराहा नरपत के मकान के बगल में जब वादी मुकदमा राम किशन सिंह अपने अन्य साथियों के साथ झलवा गॉव फलदान के लिए जा रहे थे कि अभियुक्तगण ने वादी मुकदमा को जान से मारने की नियत से तमन्चे से फायर किया।