अक्षरों के घूम जाने झूम-झट कर ठिठक जाने घुंडियों के घूम-फिरकर लौट आने, दूर जाने-चढ़ाईयां चढ़ने-उतरने से जनित श्रम-बिंदु जैसे ऋजु किसी या वक्र रेखा के तने मस्तक-शिखर पर बिंदु बनकर बैठ जाने-में तुम्हीं ऐसा लगा ज्यों देखती रहतीं मुझे निर्निमेष अपलक नयन.
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बन जाती है और आपकी ध्रुव सत्य बात-“ दो विन्दुओं की मिलाने वाली सरल रेखा वक्र रेखा से हमेशा छोटी होती है ” … मैं कई जगह कोट (प्रस्तुत) कर चूका हूँ! … यह सब स्वाध्याय से प्राप्त ज्ञान है, जो पुस्तकों में नहीं मिलती ….
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मैं अपने जन्म दिवस और विवाह के साल गिरह पर स्वयं फोन कर बड़ों का आशीर्वाद, हमउम्र का प्यार और छोटों का स्नेह मांग कर अपनी खुशी बाँट लेती हूँ क्योंकि मेरे लिए ज़िंदगी सरल है इसे किसी भी कीमत पर मैं वक्र रेखा की तरह उबाऊ और बोझिल नहीं बनाना चाहती हूँ.
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धागा प्रतिस्पर्धा में बराबरी बराबरी अंको पर समाप्त करना प्रतियोगिता बराबर रहना सुरों को मिलाना बन्धनी योग करना योग करना सम्बन्ध संबंध स्थापित करना आगे कहना संबंध स्थापित करना फोन पर मिलाना फिता लगाना रस्स् बराबर् अंको पर समाप्त करना आगे बताना सटाना जकड़ लेना फोन पर मिलाना बराबर अंको पर समाप्त करना गाँठ लगाना वक्र रेखा फिता लगाना
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आप को याद होगा कि छोटी कक्षा में पढ़ाते वक्त ज्यामिति (geometry) के शिक्षक विषय की शुरुआत ही बिंदु से करते हुए सरल रेखा (straight line) के विषय में बताते हुए कहते थे ” दो बिन्दुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा को सरल रेखा कहते हैं और यह उन्ही दो बिन्दुओं को मिलाने वाली वक्र रेखा (curve) से हमेशा छोटी होती है.
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PMमैं गरीबी रेखा के नीचे सही मेरा वजूद कुछ तो है, रहा करे जो मुकद्दर मेरी तलाश में है:-)अहा..अहा..अहा...काश मैं भरत होता तो राम रुपी कट्टा जी की चरण पादुकाओं की पूजा करता...कैसे कैसे शायर दुनिया में यूँ ही गुमनाम पड़े हैं...रेखाओ की जहाँ तक बात है तो हमारे जीवन के हिस्से में सिर्फ वक्र रेखा ही आयी है...आफिस में बॉस के माथे पर और घर में पत्नी श्री के चेहरे पर भावों की वक्र रेखा देखते देखते कब शायर बन कर अपनी भडांस निकलने लगे पता ही नहीं चला.
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PMमैं गरीबी रेखा के नीचे सही मेरा वजूद कुछ तो है, रहा करे जो मुकद्दर मेरी तलाश में है:-)अहा..अहा..अहा...काश मैं भरत होता तो राम रुपी कट्टा जी की चरण पादुकाओं की पूजा करता...कैसे कैसे शायर दुनिया में यूँ ही गुमनाम पड़े हैं...रेखाओ की जहाँ तक बात है तो हमारे जीवन के हिस्से में सिर्फ वक्र रेखा ही आयी है...आफिस में बॉस के माथे पर और घर में पत्नी श्री के चेहरे पर भावों की वक्र रेखा देखते देखते कब शायर बन कर अपनी भडांस निकलने लगे पता ही नहीं चला.