गोफ एरिया का निरीक्षण किया गया है कालरी प्रबंधन से दस्तावेज मांगे गये है अनुमति ना होने पर वन अपराध दर्ज किया जायेगा साथ सरुक्षा को लेकर गोफ क्षेत्र का भरा जल्द से जल्द कराया जायेगा।
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वर्तमान परिपेक्ष में देखा जाय तो आज 2007 के वन सुरक्षा समिति के अधिकार क्षेत्र में वनभूमि पर वन अपराध घटित होने पर प्रारम्भिक जाँचोपर्यंत प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार वन सुरक्षा समिति के पास है।
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वन अपराध की स्थिति यह है की वन्य पशुओं के लिए बनाए गए अधिनियमों के तहत दी गए निर्देश कर्मचारियों को समझ में ही नहीं आते या दूसरी ओर कहें की वे समझना ही नहीं चाहते ।
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विहित प्रक्रिया के अंतर्गत क्षेत्रीय अमले व्दारा आरा मशीन के अभिलेखों से आरा मशीन परिसर में रखी हुई ईमारती लकड़ी एवं चिरान का मिलन किया जाता है तथा लकड़ी की पुष्टि अभिलेखों से नही होती है, उसे जप्त कर नियमानुसार वन अपराध प्रकरण दर्ज किया जाता है ।
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इनमें बैंक के ऋण वसूली संबंधी मामले, अन्य वित्तीय संस्थाओं के ऋण वसूली संबंधी मामले, नगरपालिका के संपत्ति कर, अन्य कर की वसूली संबंधी मामले, जनोपयोगी सेवा संबंधी समस्त मामले, यातायात, चालान के शमनीय मामले, वन अपराध संबंधी मामले, सेवा निवृत्ति पश्चात प्राप्त परिलब्धियों के मामले सहित अन्य उपयुक्त मामले शामिल हैं।
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इसके अतिरिक्त मनरेगा से संबंधित प्रकरण, जलकर, संपत्ति कर, विद्युत देयक, अन्य समेकित कर, ऋण वसूली, वन अपराध संबंधित प्रकरण, प्राकृतिक आपदा क्षतिपूर्ति प्रकरण, मोटरयान अधिनियम तथा आबकारी अधिनियम, नामांतरण तथा बंटवारा संबंधित प्रकरण, दंड प्रक्रिया संहिता धारा 107, 116, 133, 145 तथा अन्य राजस्व की भांति वसूली योग्य प्रकरण रखे गए हैं।
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मध्यप्रदेश वन सुरक्षा पुरस्कार नियम 2004 के तहत वन अपराध सिद्ध होने पर, वन अपराध का पता लगाने में अपराधी को पकड़ने में, अपराधी की दोष-सिद्धि में या वनोपज तथा अन्य वस्तुओं की जप्ती में सहायता देने वाले व्यक्तियों को 25 हजार रुपये तक का पुरस्कार देने का प्रावधान किया गया है।
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मध्यप्रदेश वन सुरक्षा पुरस्कार नियम 2004 के तहत वन अपराध सिद्ध होने पर, वन अपराध का पता लगाने में अपराधी को पकड़ने में, अपराधी की दोष-सिद्धि में या वनोपज तथा अन्य वस्तुओं की जप्ती में सहायता देने वाले व्यक्तियों को 25 हजार रुपये तक का पुरस्कार देने का प्रावधान किया गया है।
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एक ओर वनाधिकार कानून के द्वारा सामुदायिक अधिकारों की बहाली के लिये आदिवासियों और वनाश्रित समाज के परंपरागत अधिकारों को वैधानिक मान्यता दी जा रही है तो दूसरी ओर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र में परंपरागत अधिकारों का उपयोग करनेवाले आदिवासियों पर वन अपराध के मामले दर्ज किये जा रहे हैं, जो शासन की नीतियों और कार्रवाही के बीच विरोधाभास का उदाहरण है.