| 31. | वस्ति के योग्य रोग-अंग सुप्ति, जोड़ों के रोग, शुक्र क्षय, योनि शूल आदि।
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| 32. | जितेंद्र की कविताएं मुझे उनके भविष् य के प्रति गहरी आश् वस्ति देती हैं।
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| 33. | आस्थापन वस्ति में विभिन्न औषधि द्रव्यों के क्वाथ (काढ़े) का प्रयोग किया जाता है।
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| 34. | स् वस्ति श्री सर्वोपमायोग् य बहु आनंदीजी यहॉं से सुखदेई की राम राम बॉंचना।
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| 35. | अनुवासन वस्ति में विभिन्न औषधि द्रव्यों से सिद्ध स्नेह का प्रयोग किया जाता है।
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| 36. | ऐसी कोई व्याधि नहीं है जिसका शमन इस वस्ति द्वारा नहीं किया जा सके।
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| 37. | आस्थापन वस्ति में विभिन्न औषधि द्रव्यों के क्वाथ (काढ़े) का प्रयोग किया जाता है।
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| 38. | वस्ति के योग्य रोग-अंग सुप्ति, जोड़ों के रोग, शुक्र क्षय, योनि शूल आदि।
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| 39. | स् वस्ति श्री सर्वोपमायोग् य बीबी सुखदेई जी यहॉं से आनन् दी की राम-राम बॉंचना।
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| 40. | निर्मलकारी कारकों के उदाहरण स्वरूप मछलियों के तैरने की वस्ति से प्राप्त अभ्रक, आयरिशकाई, समुद्री शैवाल,
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