नव्य वामपक्षी दार्शनिक हरबर्टमारक्यूज ने भी स्वीकार किया है कि हमारे युग की बोधशक्ति इतनी कुंठित हो चुकी हैकि किसी भी वेदना या उल्लास का तीव्र बोध प्राप्त करने में अक्षम है और मनुष्य कामन सुविधा-~ भोग तथा यथास्थिति से सन्तोष द्वारा किसी भी प्रकार की प्रखरता से हीनहो चुका है.
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प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने पिछले आम चुनाव में 110 लाख वोट (कुल प्राप्त वोटों का 10 प्रतिशत) प्राप्त किये थे और बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में आज भी उसका यथेष्ठ प्रभाव है, लेकिन वह कुल मिलाकर संघर्ष-विरोधी और वामपक्षी एकता के प्रति फूटवादी दृष्टिकोण का परिचय देती हैं।
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यह सच है कि अनेक कांग्रेसी नेता वास्तव में शांति और गुट-निरपेक्षता की विदेश-नीति का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन यह भी इतना सच है कि जो लोग इसका समर्थन करते हैं और जो लोग इसकी हिफाजत करना चाहते हैं, वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी अथवा किसी दूसरी “ वामपक्षी ” पार्टी के भीतर नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर अथवा उन लोगों के बीच में नेहरु के प्रभाव में हैं, मौजूद हैं।