अंतर इतना मात्र होता है कि दीर्घवृत्तजीय दर्पणों में काल्पनिक वस्तु का बिंब प्रतीयमान और वास्तविक वस्तु का बिंब वास्तविक होता है, किंतु अतिपरवलयज दर्पणों द्वारा वास्तविक वस्तु का प्रतीयमान बिंब और काल्पनिक वस्तु का वास्तविक बिंब बन जाता है।
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पहेलियों की रचना में प्राय: ऐसा पाया जाता है कि जिस विषय की पहेली बनानी होती है उसके रूप, गुण एवं कार्य का इस प्रकार वर्णन किया जाता है जो दूसरी वस्तु या विषय का वर्णन जान पड़े और बहुत सोच विचार के बाद उस वास्तविक वस्तु पर घटाया जा सके।
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जुगाड़ का शाब्दिक अर्थ तो अभी भी मेरी समझ के बाहर है किंतु इस शब्द का भावार्थ इस प्रकार हो सकता है, मूलभूल या वास्तविक वस्तु के तत्काल अनुपलब्ध होने पर उसकी जगह किसी अन्य वस्तु को वैकल्पिक रूप में फिट कर काम चला लिया जाये तो इस प्रक्रिया को जुगाड़ कहा जा सकता है।
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यहाँ इस तथ्य का भ उल्लेख कर देना आवश्यक है कि कला में किसी काल्पनिक या वास्तविक वस्तु को अलंकृति मात्र के लिए अभिप्राय के रूप में प्रयुक्त किया जाता है जब कि काव्य में अभिप्राय या कविसमय मुख्यस्वरूप से उस परंपरागत विचार (आइडिया) को कहते हैं जो अलौकिक और अशास्त्रीय होते हुए भी उपयोगिता और अनुकरण के कारण कवियों द्वारा गृहीत होता है तथा बाद में चलकर रूढ़ हो जाता है।
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डा 0 राय नें कहा कि लखनऊ के जि 0 वि 0 निरीक्षक कुछ कार्यरत शिक्षक नेताओ के बहकावे में आकर धूर्ततापूर्ण आचरण प्रदर्शित करने से बाज आये वरना संगठन डी 0 आई 0 ओं 0 एस 0 के भी भ्रष्ट आचरण एवं कृत्यों के खिलाफ भयंकर आन्दोलन छेडने के लिए बाध्य होगा अतः डी 0 आई 0 ओं 0 एस 0 सरकार एवं न्यायालय से जनशक्ति के पुननिर्धारण हेतु आग्रह करके वास्तविक वस्तु स्थिति से अवगत करायें।