मार्क्सवादी दृष्टिकोण में अंधविश्वास वह विचार पद्धति है जिसे आमतौर पर धर्मशास्त्रीय तथा बुर्जुआ साहित्य में सच्ची आस्था के मुकाबले रखा जाता है जो आदिम जादू से जुड़ा होता है।
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आवश्यकता इस बात की है कि (१) सत्य (२) प्रेम (३) न्याय पर आधारित विवेक और तर्क से प्रभावित हमारी विचार पद्धति हो ।।
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मार्क्सवादी दृष्टिकोण में अंधविश्वास वह विचार पद्धति है जिसे आमतौर पर धर्मशास्त्रीय तथा बुर्जुआ साहित्य में सच्ची आस्था के मुकाबले रखा जाता है जो आदिम जादू से जुड़ा होता है।
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उनकी वैचारिक विरासत का सबसे बड़ा खजाना है, उनकी विचार पद्धति और नजरिया, जो हमें बिलकुल नए सवालों और उनका उत्तर देने के नए तरीकों की ओर ले जाता है।
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फलतः यह विचार पद्धति स्याह को समाप्त कर सफेद को, गलत का विनाश कर सही को, निम्न को निष्कासित कर श्रेष्ठ को, बर्बर का उन्मूलन कर सभ्य को...
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एक तो ब्रजभाषा का विकास काव्योपयोगी रूप में ही हुआ, विचार पद्धति के उत्कर्ष साधन के लिए यह भाषा तब तक विकसित नहीं थी, दूसरे उस समय पद्य में ही लिखने की परम्परा थी।
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(2) अभीष्ट उद्देश्य की पूर्ति कर सकने वाला ऐसा साहित्य प्रकाशित करना, जो देवसंस्कृति के तत्त्वदर्शन की सामयिक विचार पद्धति के साथ तालमेल बिठा सके और सरलतापूर्वक हृदयंगम हो सके ।।
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पहली गलती: द्विवाद या बहुवाद? पश्चिमी विचार पद्धति के “द्विवाद” के तर्क को सोचने का एकमात्र तरीका मान कर हम लोग अपने “बहुवाद में एकता” के तर्क से सोचने के तरीके भुला देते हैं.
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पहली गलती: द्विवाद या बहुवाद? पश्चिमी विचार पद्धति के “ द्विवाद ” के तर्क को सोचने का एकमात्र तरीका मान कर हम लोग अपने “ बहुवाद में एकता ” के तर्क से सोचने के तरीके भुला देते हैं.
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अब मार्ग एक ही है कि विचार पद्धति को बदलें, आस्थाओं को पुनः परिष्कृत करें और लोगों को ऐसी गतिविधियाँ अपनाने के लिए समझाएँ, जो वैयक्तिक एवं सामूहिक सुख-शांति की स्थिरता में अनादिकाल से सहायक रही हैं और अंत तक रहेंगी ।।