उन्होंने हिन्दी में समाए विदेशज मूल के अनेक शब्दों की पड़ताल की थी इसके लिए उन्होंने मध्यएशिया के अनेक देशों की यात्रा भी की ।
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पिछली पोस्ट में आप से वायदा किया था कि पंडालों की सैर कराने के बाद आपको दिखाऊँगा देवी दुर्गा की प्रतिमाओं के देशज और विदेशज रूप..।
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विदेशज शब्द हिन्दी के समान बज्जिका में भी कई शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी आदि भाषा से भी आये हैं, इन्हें विदेशज शब्द कह सकते हैं।
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विदेशज शब्द हिन्दी के समान बज्जिका में भी कई शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी आदि भाषा से भी आये हैं, इन्हें विदेशज शब्द कह सकते हैं।
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भारतीय संदर्भों में ‘ चाकर ' के विदेशज मूल का होने के बारे में सबसे पुख़्ता साक्ष्य ख़ुसरो की ‘ ख़ालिकबारी ' से मिलता है ।
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वास्तव में बज्जिका में प्रयोग होने वाले विदेशज शब्द का तद्भव रुप ही प्रचलित है, जैसे-कौलेज, लफुआ (लोफर), टीशन (स्टेशन), गुलकोंच(ग्लूकोज़), सुर्खुरू (चमकते चेहरे वाला) आदि।
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वास्तव में बज्जिका में प्रयोग होने वाले विदेशज शब्द का तद्भव रुप ही प्रचलित है, जैसे-कौलेज, लफुआ (लोफर), टीशन (स्टेशन), गुलकोंच(ग्लूकोज़), सुर्खुरू (चमकते चेहरे वाला) आदि।
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विदेशज शब्द हिन्दी के समान बज्जिका में भी कई शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी आदि भाषा से भी आये हैं, इन्हें विदेशज शब्द कह सकते हैं।
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विदेशज शब्द हिन्दी के समान बज्जिका में भी कई शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी आदि भाषा से भी आये हैं, इन्हें विदेशज शब्द कह सकते हैं।
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हरीश नवल ने कहा कि हिंदी को संस्कृत या हिंगलिश बनाना घातक होगा, बल्कि उचित होगा कि विदेशज शब्दों को उसी रूप में अंगीकार किया जाये ।