छोटी बच्ची छुईया, विवाह के थोड़े से दिनों के बाद विधवा हो जाती है और उसके पिता उसका सिर मुँडवा कर, एक विधवा आश्रम में छोड़ जाते हैं.
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विधवा या अकेले रहने वाली हर औरत के पास खर्चे का अपना साधन हो ताकि उसे किसी से अनचाहा समझौता करने या विधवा आश्रम जाने पर मजबूर न होना पड़े।
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सन् 1896 में उन्होंने पूना के हिंगले नामक स्थान पर दान में मिली एक भूमि पर एक कुटिया में एक विधवा आश्रम और अनाथ बालिका आश्रम की स्थापना कर दी।
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एक शताब्दी पुराने इस विधवा आश्रम में आज जलाए गए हजारों दीपों ने न केवल पूरे भवन को जगमग कर दिया बल्कि इन विधवाओं के मनोबल को नई ऊंचाई दी।
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एक विधवा आश्रम, एक कन्या अनाथालय का उद्घाटन किया दलित महिलाओं के उद्धार लिए संसद में बहस किया, ' नारी तुम सबला हो ' नामक बिल पेश किया..
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हत्या और आत्महत्या से बचा स्त्री का जीवन बनारस और मथुरा में विधवा आश्रम में विधवाओं के जीवन और जीवन-चर्या से जो लोग परिचित हैं उन्हें कुछ बताने की जरूरत नहीं.
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छोटी बच्ची छुईया, विवाह के थोड़े से दिनों के बाद विधवा हो जाती है और उसके पिता उसका सिर मुँडवा कर, एक विधवा आश्रम में छोड़ जाते हैं.
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चाहे वो बाल विधवा आश्रम हो या वो नारी निकेतन हो या जैन आश्रम हो या फिर चर्च या इससे जुड़ी संस्थाएं, हर जगह पर धर्म के आवरण में चकलाघर चलता है ।
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ईश्वर की सबसे खुबसूरत धरोहर मानव जो मानवता के बिना अधूरी है, उसे परिपूर्ण बनाएं और आनंदपूर्वक रहें और आज कुकुरमूत्ते की तरह छा रहें विधवा आश्रम एवं बुजुर्ग आश्रम के तादात को रोक सकें और इस धरा की बगियां को प्यार एवं सद्भावना के खाद से सींचे।)
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आप माने या नहीं परन्तु भारत की आबादी का तेरह फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जो कभी पत्नी भी थीं, आज माँ भी हैं लेकिन इस माँ, जो अपने संतानों को नौ महीने अपने कोख में रखी, को रखने के लिए उनके संतानों के आलीशान भवनों से लेकर एक कमरे वाले कोठरी में भी दो गज जगह नहीं है और अगर होता तो भारत के पैंतीस मिलियन माताएं भारत के विभिन्न धार्मिक शहरों में, विशेष कर मथुरा, वृन्दावन और बनारस के विधवा आश्रम के रहकर अपने जीवन की अंतिम साँसे नहीं गिनती.