तीसरे मामले में इनके एसपी देवरिया के रूप में एक जांच के 25 मई 2007 को समाप्त हो जाने के बाद इन अधिकारियों द्वारा उसे विधि के प्रावधानों के विपरीत दुबारा दो साल बाद 26 मई 2009 को प्रारम्भ किया गया था जिसे कैट, लखनऊ ने वाद संख्या 177 / 2010 में 0 8 सितम्बर 1011 के अपने आदेश में विधिविरुद्ध पाते हुए निरस्त करने का आदेश किया था.
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उपरोक्त वर्णित तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि विभागीय मंत्री के रूप में इस मामले में दिए गये प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के सम्बन्ध में वाणिज्य कर आयुक्त की संस्तुति पर कार्यवाही करने के साथ ही इस बात की भी जांच करने के आदेश दें कि इतना स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद भी दोषी अधिकारियों को बचाने के उद्देश्य से किस अधिकारी के द्वारा इन नियमों की व्याख्या गलत, मनमाने व विधिविरुद्ध ढंग से की गई.