रैली के आयोजकों द्वारा मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने देने की भारत के सर्वोच्च न्यायालय से वचनबद्धता के बावजूद, 1992 में 150,000 लोगों की एक राजनीतिक रैली[1] के दंगा में बदल जाने से यह विध्वस्त हो गयी.[2] [3] मुंबई और दिल्ली सहित कई प्रमुख भारतीय शहरों में इसके फलस्वरूप हुए दंगों में 2,000 से अधिक लोग मारे गये.[4]
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फ़ैज के अनुसार अविकसित देशों की पहली सांस्कृतिक समस्या है अपनी विध्वस्त राष्ट्रीय संस्कृतियों के मलबे से उन तत्वों को बचा कर निकालने की जो उनकी राष्ट्रीय पहचान का मूलाधार हैं, जिनका अधिक विकसित सामाजिक संरचनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार समायोजन और अनुकूलन किया जा सके, और जो प्रगतिशील सामाजिक मूल्यों और प्रवृत्तियों को मजबूत बनाने और उन्हें बढ़ावा देने में मदद करें।
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फ़ैज के अनुसार अविकसित देशों की पहली सांस्कृतिक समस्या है अपनी विध्वस्त राष्ट्रीय संस्कृतियों के मलबे से उन तत्वों को बचा कर निकालने की जो उनकी राष्ट्रीय पहचान का मूलाधार हैं, जिनका अधिक विकसित सामाजिक संरचनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार समायोजन और अनुकूलन किया जा सके, और जो प्रगतिशील सामाजिक मूल्यों और प्रवृत्तियों को मजबूत बनाने और उन्हें बढ़ावा देने में मदद करें।
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और काशी की तिलमात्र भूमि भी शिवलिन्ग से अछूती नही है, जैसे काशीखण्ड के दसवें अध्याय में ही ६ ४ लिन्गो का वर्णन है, चीनी यात्री (ह्वेनसांग) के अनुसार उसके समय में काशी मे सौ मन्दिर थे, और एक मन्दिर में १ ०० फ़ुट ऊंची ताम्बे की मूर्ति थी, किन्तु दुर्भाग्यवस विधर्मियो द्वारा काशी के सहस्त्रो मन्दिर विध्वस्त कर दिये, और उनके स्थान पर अपने धर्म स्थानो का निर्माण कर दिया, उस समय के प्रसिद्ध शासक औरंगजेब ने काशी का नाम मुहम्मदाबाद रख दिया था मगर यह चल नही पाया.