इस विधि से जब मेघों का विद्युतीकरण इस सीमा तक पहुँच जाता है कि पड़ोसी आवेशकेंद्रों के बीच विभव प्रवणता (potential gradient) विभंग मान तक पहुँच जाती है, तब विद्युत् का विसर्जन दीर्घ स्फुलिंग के रूप में होता है।
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मध्य महासागरीय एवं महाद्वीपी विभंग (fracture) पद्धति के भूवैज्ञानिक और भूभौतिक लक्षणों से प्रकट है कि यह दो प्रकार के अवयवों से जिन्हें प्राथमिक और गौण चाप कहते हैं, बना है और विकास की भिन्न भिन्न अवस्थाओं में इनकी अनेक पुनरावृत्तियाँ हो चुकी हैं।
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मज्झिमनिकाय में मध्यमविस्तार के 152 सुत्त है जो 15 वर्गों में विभक्त हैं-(1) मूलपरियाय (2) सीहनाद (3) ओपम्म (4) महायमक (5) चूलयमक (6) गहपति (7) भिक्खू (8) परिव्वाजक (9) राज (10) ब्राह्मण (11) देवदह (12) अनुपद (13) सुञ्ञता (14) विभंग और (15) षडायतन।
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मध्य महासागरीय एवं महाद्वीपी विभंग (fracture) पद्धति के भूवैज्ञानिक और भूभौतिक लक्षणों से प्रकट है कि यह दो प्रकार के अवयवों से जिन्हें प्राथमिक और गौण चाप कहते हैं, बना है और विकास की भिन्न भिन्न अवस्थाओं में इनकी अनेक पुनरावृत्तियाँ हो चुकी हैं।
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प्रायद्वीपीय पठार के अनेक हिस्से भू-उत्थान व निमज्जन, भ्रंश तथा विभंग निर्माण प्रक्रिया के अनेक पुनरावर्ती दौर से गुजरे हैं ;भीमा भ्रंश का उल्लेख करना आवश्यक है क्योंकि वहाँ बार-बार भूकंपीय हलचलें होती रहतीं हैं अपनी पुनरावर्ती भूकंपीय क्रियाओं की क्षेत्रीय विभिन्नता के कारण ही प्रायद्वीपीय पठार पर धरातलीय विविधताएँ पाई जाती हैं।